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प्रताड़ित करने वाले बेटा -बहु को माँ -बाप निकाल सकते है घर से बाहर , जाने क्या कहता है कानून

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प्रताड़ित करने वाले बेटा -बहु को माँ -बाप निकाल सकते है घर से बाहर , जाने क्या कहता है कानून

अक्सर आपने सुना होगा की बेटा शादी होने के बाद माँ -बाप की सेवा नहीं करता.  काफी जगहों पर बहु द्वारा सास को प्रताड़ित करने के मामले सामने आते है. जागरूकता के कारण काफी लोगों को ये तो शायद पता होगा कि अगर बेटा  माँ -बाप की सेवा नहीं करता है तो माँ -बाप अपने बेटे से भरण पोषण का खर्च लेने के हकदार है. लेकिन शायद ये आपने नहीं सुना होगा कि अगर बेटा -बहु  बूढ़े माँ-बाप को प्रताड़ित करते है तो उन्हें माँ -बाप घर से बाहर निकाल सकते है. पानीपत में सामने आये एक ऐसे ही केस से समझियें कि बूढ़े माँ -बाप के क्या अधिकार और कानून क्या कहता है.

 

पानीपत के जागरूक माँ -बाप ने बेटे और बहू की प्रताड़ना बर्दाश्‍त नहीं की। कुछ महीने तो संयम बरतते रहे। लेकिन जब पानी सिर के ऊपर गया तो उन्‍होंने फैसला कर लिया कि अपने बेटे और बहू को घर से निकाल देंगे। दोनों ने घर खाली करने से इन्‍कार कर दिया। पानीपत की सतकरतार कालोनी के मोहर सिंह को कानून पता था। जिन्होंने जिलाधीश के सामने याचिका लगा दी।

आखिरकार प्रशासन ने बेटे और बहू को घर से बाहर निकाला। मोहर सिंह ने कहा, बरसों बाद चैन की नींद आएगी। जिस बेटे से सेवा की उम्‍मीद थी, वही मारपीट करता था। घर हड़पना चाहता था। मोहर सिंह की तरह, अगर कोई और बेटा भी इसी तरह प्रताडि़त करता है तो किस कानून के तहत शिकायत कर सकते हैं, यह जानना जरूरी है।

आरोपित पुत्र का संपत्ति से अधिकार भी समाप्त कर दिया। यह मामला रिश्तों के पतन, सामाजिक व पारिवारिक परिवेश-ढांचा को छिन्न-भिन्न करने वाला है। दैनिक जागरण में लगी खबर में जिला बार एसोसिएशन पानीपत के पूर्व उपाध्यक्ष एडवोकेट आनंद दहिया और मौजूदा सचिव वैभव देसवाल से माता-पिता-बुजुर्गों के भरण पोषण व कल्याण अधिनियम-2007 पर चर्चा हुई। वकीलों ने धाराएं गिना, सीनियर सिटीजन के अधिकार बताए।

प्रताड़ित करने वाले बेटा -बहु को माँ -बाप निकाल सकते है घर से बाहर , जाने क्या कहता है कानून

ये है अधिनियम की धाराएं और प्रविधान

धारा-2 (डी) : इस धारा के तहत जन्मदाता माता-पिता, दत्तक संतान ग्रहण करने वाले, सौतेले माता या पिता के अधिकार सुरक्षित हैं।

धारा-2 (जी) : जिनके बच्चे नहीं हैं। ऐसे में उनके भरण पोषण की जिम्मेदारी वे संबंधी उठाएंगे जो उनकी संपत्ति के हकदार हैं।

 

धारा-5 के तहत ये अधिकार

बच्चे या संबंधी बुजुर्ग की देखभाल नहीं कर रहे हैं तो वे एसडीएम कोर्ट (ट्रिब्यूनल) में शिकायत कर सकते हैं। शिकायत खुद दें या एनजीओ की मदद भी ले सकते हैं। आरोपितों को नोटिस मिलने के बाद 90 दिन के अंदर फैसला हो जाता है। अपवाद की स्थिति में 30 दिन का समय बढ़ सकता है। ट्रिब्यूनल बुजुर्ग के भरण-पोषण के लिए 10 हजार रुपये तक भत्ता तय कर सकता है। भत्ता न देने पर जेल भी हो सकती है।

 

धारा-14 : सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा-भत्ता वाद न्यायालय में लंबित है तो वापस लेकर ट्रिब्यूनल में लग सकता है।

धारा-19 : राज्य सरकार प्रत्येक जिले में कम से कम एक ओल्ड एज बनाएगी। वरिष्ठ नागरिकों के रहने खाने, चिकित्सा, मनोरंजन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।

धारा-20 : जिला के सरकारी अस्पतालों में बेड आरक्षित होने चाहिए।

धारा-23 : माता-पिता ने संपत्ति बच्चों को दे दी, वे सेवा नहीं कर रहे तो संपत्ति पुन: माता पिता के नाम हो जाएगी।

 

सुरक्षा के लिए भी गाइडलाइन :

एडवोकेट वैभव देसवाल ने बताया कि माता-पिता, दादी-दादी (वरिष्ठ नागरिकों) की सुरक्षा के लिए भी गाइडलाइन जारी की गई हैं। घर में नौकर रखने से पहले उसकी पुलिस वेरीफिकेशन कराएं। तिजोरी की चाबियां गुप्त स्थान पर रखें। घर से बाहर जाने पर पड़ोसी को सूचना दें। एटीएम का पासवर्ड, ओटीपी किसी को न बताएं। अज्ञात व्यक्ति के लिए दरवाजा न खोलें। बाहरी व्यक्ति की मौजूदगी में धन-संपत्ति का जिक्र न करें।

 

सरकार देती है बुढ़ापा पैंशन : एडवोकेट आनंद दहिया ने कहा कि प्रदेश की सरकार सीनियर सिटीजन को हर माह बुढ़ापा पैंशन प्रदान कर रही है। हवाई जहाज, रेल के किराये में 40 से 60 प्रतिशत तक की छूट। सरकारी बसों में किराये की छूट। पैंशन की आय पर कोई टैक्स नहीं। 75 साल से ज्यादा उम्र वालों पर कोई टैक्स नहीं। वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए और भी तमाम कानून बनाए गए हैं।