Halchal Haryanvi: रेवाड़ी जिले के गाँव बीकानेर के रहने वाले विष्णुदत्त उर्फ हलचल हरियाणवी अब 75 वर्ष के हो चुके है। जो अभी भी मनोरंजन भरी कविताएं लिखते रहते है और लगातार कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ भी करते है। हलचल हरियाणवी को बचपन से ही हास्य कविताओं में रुचि थी। वर्ष 1965 में अल्हड़ बीकानेरी से कवितायें सुनकर उनकी रुचि कविताओं में ओर बढ़ गई। जिसके बाद अल्हड़ बीकानेरी के शिष्य बनकर वो लगातार आगे बढ़ते गए। अल्हड़ बीकानेरी वो नाम है जिनके नाम से आदित्य अल्हड़ पुरस्कार भी साहित्यकारों को दिया जाता है।
वर्ष 1972 में हरियाणा आर्मड पुलिस में हुए भर्ती
हलचल हरियाणवी (Halchal Haryanvi) मेडिकल लाइन में जाना चाहते थे। लेकिन नहीं जा पाएँ। जिसके बाद वर्ष 1972 में वे हरियाणा आर्मड पुलिस में भर्ती हो गए। मधुबन में ट्रेनिंग के दौरान उन्हे पुलिस की नौकरी रास नहीं आई और वे नौकरी छोड़ आयें। लेकिन वहाँ भी हलचल हरियाणवी ने पुलिस अधिकारियों को अपनी हास्य रचनाओं का दीवाना बना दिया।
पुलिस अधिकारी ने कराया स्पेशल कवि सम्मेलन का आयोजन
नौकरी छोड़ने के बाद तत्कालीन पुलिस अधिकारी ने हलचल हरियाणवी (Halchal Haryanvi) को बुलाकर स्पेशल कवि सम्मेलन का आयोजन कराया था। जहाँ उन्होने नौकरी ज्वाइन करने पर तैयार की कविता का पाठ किया था। उस समय उन्होने लिखा था “करके दसवीं पास बीच में लटक रहें है” बन गए हम रंगरूट हमारे भाग खुले”
दुखी होने के बावजूद दुनिया को हँसाते रहें
हलचल हरियाणा (Halchal Haryanvi) के सफर में एक ऐसा दौर भी आया जब उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। जवान भाई के देहांत हो गया। उनके बच्चों के लालन-पालन का जिम्मा भी उनके कंधो पर आ गया। आय का कोई बड़ा साधन नहीं था। लेकिन उस वक्त भी वो हास्य कवितायें लिखते रहें और दुनिया को हँसाते रहें।
वर्ष 1986 में बनाई हरियाणवी फिल्म
हलचल हरियाणवी मशहूर कवि गोपालदास नीरज, ओमप्रकाश आदित्य, अल्हड़ बीकानेरी, सुरेन्द्र शर्मा, संतोष आनंद और पंडित सर्वेश्वर जैसे बड़े कवियों के साथ कविता का पाठ कर चुके है। अपने गुरु और मशहूर कवि अल्हड़ बीकानेरी के साथ मिलकर उन्होने वर्ष 1986 में एक हरियाणवी फिल्म भी बनाई थी। जिस फिल्म का नाम था छोटी साली । ये फिल्म पूरी तरफ से हरियाणवी संस्कृति पर आधारित थी।
7 किताबें हुई प्रकाशित
हलचल हरियाणवी (Halchal Haryanvi) अबतक 9 किताबे भी लिख चुके है। जिनमें से 7 किताबें प्रकाशित हो चुकी है। मौज हौरी सै, झूम उठे हम, हलचल के चौके छक्के, बुढ़ापा बैरी घणा, आदमी दौगले हो रे, खूब हँसा कर और जय भ्रष्टाचार हरे किताबें लिख चुके। जिनमें उनके द्वारा लिखी गई हास्य रचनाएँ है। इन हास्य रचनाओं में काफी रचनाएँ काफी फेमस भी हुई।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने कई पुरुस्कारों से नवाजा
उनकी रचनाओं के चलते उन्हे वर्ष 2011 में तत्कालीन राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने विशेष साहित्य कवि सम्मान से नवाजा था। जिसके बाद वर्ष 2015 में मुख्यमंत्री ने उनका आदित्य अल्हड़ पुरस्कार से सम्मान किया था। वर्ष 2022 में हलचल हरियाणवी का बाबू बालमुकुंद गुप्त पुरस्कार से भी सम्मान किया गया था।