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रैपिड रेल कॉरिडोर के बीच स्टेशन के लिए जमीन का अधिग्रहण होना बाकी

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रैपिड रेल कॉरिडोर के बीच स्टेशन के लिए जमीन का अधिग्रहण होना बाकी

देश की राजधानी दिल्ली से एनसीआर में रहने वाले लोगों की बेहतर ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी के लिए रैपिड रेल कॉरिडोर का काम किया जाना है. रैपिड रेल कॉरिडोर प्रोजेक्ट को लेकर आने वाली सभी अडचनों को दूर किया जा रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार एलाइनमेंट में मामूली बदलाव के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी परिवहन निगम ने इसे फाइनल रूप दे दिया है। वहीँ रेवाड़ी जिले में बनने वाले स्टेशन के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है. उम्मीद है कि अगले माह आवार्ड जारी किये जायें.

 

एनएच48 के साथ-साथ बनेगा रैपिड मेट्रो का एलीवेटेड ट्रैक

आपको बता दें कि पहले चरण में दिल्ली के सराय काले खां से वाया रेवाड़ी होते हुए एसएनबी (शहाजहांपुर-नीमराणा-बहरोड़) अर्बन काम्प्लेक्स तक कॉरिडोर बनाया जाएगा। रेवाड़ी जिले में बनने वाले एलिवेटेड ट्रैक के लिए मिट्‌टी टेस्टिंग से लेकर अन्य बाधाओं को चिह्नित करने का काम भी शुरू किया जा चुका है। इस कॉरिडोर का लगभग 50 किलोमीटर का हिस्सा रेवाड़ी जिला की सीमा में आएगा। दिल्ली-गुड़गांव में यह भूमिगत होगा जबकि गुड़गांव से आगे एसएनबी तक रेपिड रेल का संचालन एलीवेटेड ट्रैक पर किया जाएगा। यह पूरा एलिवेटेड ट्रैक दिल्ली-जयपुर राजमार्ग के साथ-साथ ही तैयार किया जाएगा,  जिसके कारण इसके लिए अधिक जमीन अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं है।

रैपिड रेल कॉरिडोर के बीच स्टेशन के लिए जमीन का अधिग्रहण होना बाकी

स्टेशन, एंट्री और एग्जिट गेट के लिए जमीन का होगा अधिग्रहण

ऐसे में अब जो जमीन अधिग्रहण होगा, वह केवल एक डिपो, स्टेशन के साथ एंट्री और एग्जिट गेट के लिए किया जाना है। रेवाड़ी जिले में धारूहेड़ा के अलावा मानेसर-बावल इन्वेस्टमेंट रीजन, रेवाड़ी, बावल में स्टेशन बनाए जाएंगे। इसके बाद पहले चरण का अंतिम स्टेशन एसएनबी ही होगा। दूसरे चरण में यह कॉरिडोर शाहजहांपुर से बहरोड़ के ही सोतानाला इंडस्ट्रीज एरिया तक जाएगा और इसमें भी केवल 4 ही स्टेशन होंगे। तीसरे चरण में फिर कॉरिडोर को सोतानाला से खैरथल होते हुए अलवर से जोड़ा जाएगा। उधर, निगम की तरफ से फाइनल एलाइनमेंट तैयार किए जाने के बाद अब जिला प्रशासन की तरफ से डिपो, स्टेशन के साथ कॉरिडोर ट्रैक के लिए जमीन अधिग्रहण की भी तैयारी शुरू की जा रही है।

जिला राजस्व अधिकारी कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि फिलहाल आरआरटीएस का अवार्ड सुनाया जाना है जिसके लिए तिथि अभी तय नहीं की गई है। इतना अवश्य है कि मार्च में यह सुना दिया जाएगा क्योंकि उससे पहले एक उच्चस्तरीय बैठक होनी है। इस बैठक में ही डेट फाइनल की जाएगी।

 

आरआरटीएस स्टेशन से जुड़ेंगे नजदीकी बस अड्‌डे

निगम की तरफ से मल्टी मॉडल एकीकरण प्रोजेक्ट के तहत सभी स्टेशनों से उनके नजदीकी स्थित हवाई अड्‌डा, रेलवे स्टेशन और अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल से जोड़ने पर भी काम किया जाएगा। हालांकि यह उन्हीं के लिए किया जाएगा जहां संभव हो सकेगा। ऐसे में यात्रियों को इन स्टेशनों तक पहुंचने में आसानी रहेगी।

 

हरियाणा-राजस्थान पहले ही सहमत, केंद्र की मंजूरी मिलते ही काम शुरू : हालांकि अभी तक केंद्र सरकार की तरफ से प्रथम चरण के लिए चिन्हित दिल्ली-एसएनबी और पानीपत कॉरिडोर को फाइनल मंजूरी का इंतजार है लेकिन हरियाणा और राजस्थान सरकार की तरफ से इस प्रोजेक्ट के लिए पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। इसी वजह से निगम की तरफ से पहले जो भी बाधाएं आ रही है उन सभी को दूर करने के साथ अन्य कामकाज किया जा रहा है। ऐसे में केंद्र की मंजूरी मिलते ही काम प्रारंभ कर दिया जाएगा। इससे प्रोजेक्ट अधिक लेट नहीं होगा।

 

हर दिन 11 लाख यात्री करेंगे सफर, हर 10 मिनट में ट्रेन होगी उपलब्ध

राष्ट्रीय राजधानी परिवहन निगम की तरफ से तैयार की गई डीपीआर के अनुसार इस रूट को केंद्र सरकार ने पानीपत-मेरठ के साथ प्रथम चरण में ही तैयार करने का निर्णय लिया है। हालांकि मेरठ कॉरिडोर की आधारशिला रखी जा चुकी है और इसके लिए अभी केंद्र की मंजूरी मिलना बाकी है। इससे पहले ही निगम की तरफ से तमाम तैयारियां पूरी की जा रही है।

सराय काले खां से शाहजहांपुर तक इस ट्रैक की दूरी 107 किमी है और इस पर संचालित होने वाली रेपिड रेल से प्रतिदिन लगभग 11 लाख यात्रियों के सफर का अनुमान है। पानीपत-मेरठ ट्रैक के मुकाबले इस कॉरिडोर पर यात्रियों की संख्या 3 लाख अधिक है। मेरठ कॉरिडोर पर प्रतिदिन 8 लाख और पानीपत कॉरिडोर पर 7 लाख यात्रियों के प्रतिदिन सफर का अनुमान लगाया गया है। दिल्ली से शाहजहांपुर तक की दूरी तय करने में महज 70 मिनट लगेंगे और हर 10 मिनट बाद रेपिड रेल उपलब्ध रहेगी।

 

एलाइनमेंट फाइनल, अधिग्रहण प्रक्रिया जल्द होगी शुरू

दिल्ली से एसएनबी तक बनने वाले आरआरटीएस(रीजनल रेपिड ट्रांजिट सिस्टम) के कॉरिडोर के लिए एलाइनमेंट में कुछ बदलाव किया गया है। इसके साथ ही अब रूट फाइनल हो गया है। इससे अब हमें हरियाणा में केवल डिपो, स्टेशन और एंट्री-एग्जिट गेट के लिए ही जमीन की जरूरत होगी। चूंकि हरियाणा व राजस्थान सरकार की तरफ से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है ऐसे में अधिग्रहण से संबंधित प्रक्रिया भी जल्द शुरू की जा रही है। धारूहेड़ा से बावल के बीच टेस्टिंग से लेकर अन्य प्रक्रिया शुरू की हुई है और केंद्र की मंजूरी के साथ ही काम शुरू हो जाएगा। -पुनित वत्स, सीपीआरओ, राष्ट्रीय राजधानी परिवहन निगम।