रेवाड़ी डीसी राहुल हुड्डा ने जानकारी देते हुए बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग ने गर्भावस्था में मजदूरी के दौरान नुकसान की भरपाई व स्तनपान कराने वाली महिलाओं में पोषण सुनिश्चित करने के लिए ‘मुख्यमंत्री मातृत्व सहायता’ योजना शुरू की है। इस योजना के तहत दूसरे बच्चे के रूप में लडक़े को जन्म देने वाली अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाएं इस योजना का लाभ उठा सकती हैं।
ये महिलाएं ले सकती है लाभ
उन्होंने बताया कि इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से आदेश जारी कर दिए गए हैं। अब 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग महिलाओं सहित मनरेगा जॉब कार्ड, ई-श्रम कार्ड, बीपीएल राशन कार्ड, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और किसान सम्मान निधि की लाभार्थी महिलाएं भी इस योजना का लाभ लेने के लिए पात्र होंगी। योजना का लाभ लेने के लिए संबंधित महिला के परिवार की सालाना आय 8 लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए। इस योजना के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है।
केंद्र या प्रदेश सरकार की नौकरियों और सार्वजनिक उपक्रमों में तैनात महिला कर्मचारी योजना का लाभ लेने के लिए पात्र नहीं होंगी। सहायता राशि लेने के लिए गर्भावस्था के पंजीकरण के बाद कम से कम एक बार प्रसव पूर्व जांच के साथ ही बच्चे का पंजीकरण और उसे बीसीजी, ओपीवी, डीपीटी और हेपेटाइटिस बी के टीके लगवाना जरूरी है।
डीसी ने बताया कि मुख्यमंत्री मातृत्व सहायता योजना का लाभ लेने के लिए आंगनबाड़ी वर्कर या आशा वर्कर के माध्यम से आवेदन किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई कामगार महिलाओं के लिए पहले से प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना संचालित की जा रही है, जिसके तहत पांच हजार रुपये की सहायता राशि तीन किस्तों में दी जाती थी। अब सरकार द्वारा नियमों में बदलाव कर सहायता राशि दो किस्तों में देने का निर्णय लिया है।
उपायुक्त ने बताया कि अधिक जानकारी के लिए इच्छुक एवं पात्र महिलाएं आंगनबाड़ी केंद्र, आशा वर्कर, संबंधित सीडीपीओ कार्यालय अथवा रेवाड़ी स्थित महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी कार्यालय के दूरभाष नंबर 01274-223694 पर किसी भी कार्य दिवस के दौरान सुबह 9 बजे से सायं 5 बजे तक संपर्क कर जानकारी प्राप्त कर सकती हैं।