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एम्स के लिए जरूरत से दुगनी जमीन किसानों ने दी , लेकिन बीच का कुछ हिस्सा किसान देने के लिए राजी नहीं

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एम्स के लिए जरूरत से दुगनी जमीन किसानों ने दी , लेकिन बीच का कुछ हिस्सा किसान देने के लिए राजी नहीं

एम्स ( AIIMS ) के लिए जरूरत से दुगनी जमीन ग्रामीणों ने दी , लेकिन बीच का कुछ हिस्सा भू मालिकों द्वारा ना देने पर अड़चन , फिजिबल्टी चैक करने के बाद शुरू हो पाएगी आगे की प्रकिया . मंत्री डॉ बनवारी लाल की अपील बाकि किसान भी जनहित में दें जमीन .

Rewari : दक्षिण हरियाणा की महत्वाकांक्षी परियोजना एम्स का निर्माण कब शुरू होगा ये सवाल हर किसी के दिमाग में चल रहा है . और चले भी क्यों ना,  क्योंकि इलाके में एम्स बनने के बाद यहाँ की तस्वीर तक़दीर बदलने वाली है . लेकिन लम्बे समय से एम्स के निर्माण के लिए आ रही अड़चनों के कारण निर्माण नहीं हो पा रहा है.

फिलहाल स्थिति ये है की स्थानीय लोगों ने एम्स के निर्माण के लिए जरूरत से दुगनी जमीन सरकार को अपनी मर्जी से दे दी है लेकिन बीच का कुछ हिस्सा भू मालिक नहीं देना चाहते है  इसलिए थोड़ी अड़चन जरुर आ रही है .  जिला उपायुक्त यशेंद्र सिंह का कहना है की राजस्व विभाग के मुख्लाय के पास वो जरुरी दस्तावेज भेजेंगे जिसके बाद फिजिबल्टी चैक कर फाइनल किया जायेगा . वहीँ स्थानीय लोगों ने भी जिला उपायुक्त से मिलकर जल्द एम्स निर्माण का काम शुरू कराने की माँग की है .

आपको बता दें की वर्ष 2015 में पहली बार मुख्यमंत्री ने मनेठी ( Manethi ) में एम्स बनाये जाने की घोषणा की थी . जिसके बाद मनेठी ग्राम पंचायत ने 200 एकड़ जमीन एम्स के निर्माण के लिए दे दी थी . लेकिन केंद्र सरकार की तरह से एम्स को हरी झंडी ना मिलने से मामला ठन्डे बस्ते में चला गया और फिर लोकसभा चुनाव से पहले स्थानीय लोगों ने करीबन 3 महीने लगातार धरना प्रदर्शन कर आंदोलन किया. जिसके दबाव में स्थानीय केंदीय मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह ने  केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर एम्स निर्माण के लिए पैरवी की . जिसके कुछ समय बाद प्रधानमंत्री ने मनेठी एम्स की घोषणा  की और तुरंत औपचारिकता पूरी कर एम्स का निर्माण कराने टेंडर छोड़ दिया . लेकिन ठीक उसी समय फारेस्ट एडवायाजरी कमेटी ने एम्स निर्माण पर ये कहकर रोक लगा दी थी की मनेठी एम्स के लिए जो जमीन दी गई है वो फारेस्ट की जमीन है . जहाँ पेड़ों को काटकर एम्स नहीं बनाया जा सकता . जिसके बाद फिर एम्स पर राजनितिक बयानबाजी चलती रही और सरकार ने गेंद किसानों के पाले में फेंकते हुए कहा की किसान खुद जमीन उपलब्ध कराये . जिसके बाद अब किसानों ने ई भूमि पोर्टल के माध्यम से सरकार को जरूरत से दुगनी जमीन दे दी है. लेकिन इसमें एक छोटी से अड़चन से है की जो जमीन किसानों ने दी है उसमें कुछ किसान अपनी जमीन नहीं देना चाहते है . जिन्हें मनाने के लिए एम्स संघर्ष समिति प्रयास कर रही है और जिला प्रशासन की तरह से जमीन की उपलब्धता पूरी दिखाकर फिजिबल्टी चैक कराने के लिए राजस्व विभाग पंचकूला को दस्तावेज भेजे है. जिनके द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद एम्स निर्माण की प्रकिया आगे बढ़ पायेगी .

जिन किसानों ने एम्स निर्माण के लिए दी गई जमीन के बीच का कुछ हिस्सा सरकार को नहीं दिया है उनसे कैबिनेट मंत्री डॉ बनवारी लाल ने अपील की है की वो जनहित में अपनी जमीन एम्स के लिए दे ताकि जल्द एम्स का निर्माण शुरू कराया जा सकें .