न्यायमूर्ति अरुण मोंगा ने सोमवार को इस भर्ती के परिणाम के खिलाफ दायर दर्जनों याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए यह आदेश दिया है. बता दें कि करनाल के अनिल कुमार व अन्य ने अधिवक्ता रविंदर ढुल के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि 2019 में 4858 क्लर्कों की भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए थे, जिसके बाद लिखित परीक्षा ली गई और सितंबर 2020 में इसका परिणाम जारी किया गया था.
रद्द होने के कारण
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रिजल्ट को लेकर आवेदकों ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा था कि परिणाम जारी करते समय आयोग ने एक बड़ी गलती की है, जिसके कारण कई योग्य आवेदकों का चयन नहीं हो पाया है. याचिकाकर्ताओं के अनुसार, लिखित परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र के दो सेट थे और आयोग ने नकल को रोकने के लिए दोनों सेटों में उत्तर के क्रम को बदल दिया था.
सेट सी में प्रश्न संख्या 3, 47 और 66 में वही प्रश्न थे जो सेट ए, संख्या 24, 62 और 9 के थे.प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्प ए, बी, सी और डी थे. इन दोनों सेटों में उत्तरों का विकल्प क्रम बदला गया था. यानी यदि सेट सी में प्रश्न का उत्तर सी था, तो इसे सेट ए में डी में बदल दिया गया था. लेकिन जब आयोग ने परीक्षा के बाद परिणाम जारी किया, तो उसने विकल्प सी को सही बताते हुए दोनों को अंक दिए। इस तरह कई आवेदक अंक देने में गलती के कारण भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो गए।
याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि इतनी महत्वपूर्ण भर्ती के परिणाम में कैसे गलती हो सकती है. इसलिए उच्च न्यायालय ने भर्ती के इस परिणाम को रद्द करते हुए आयोग को फिर से परिणाम संशोधित करने और तीन महीने में परिणाम जारी करने का आदेश दिया है. साथ ही उच्च न्यायालय ने कहा कि इस गलती के लिए आयोग पर जुर्माना लगाया जा सकता था, लेकिन वह ऐसा नहीं कर रहा है.