आजाद हिंद फौज के संस्थापक एवं महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की ओर से रेवाड़ी जिला में डीसी राहुल हुड्डा ने मंगलवार को सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज ( soldiers of Azad Hind Fauj ) में सहभागी रहे जीवित 103 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह व 105 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी हरि सिंह के पैतृक गांवों कोसली व भुरथला स्थित निवास पर पहुंचकर उन्हें शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया और प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का संदेश दिया।
डीसी ने स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह और स्वतंत्रता सेनानी हरि सिंह का कुशलक्षेम पूछते हुए उनके स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए कहा कि आप राष्ट्र का गौरव हैं और देश के प्रत्येक नागरिक को आप के शौर्य और अदम्य साहस पर गर्व है। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह व हरि सिंह के अदम्य साहस व शौर्य से भरे गौरवमयी इतिहास को युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बताया। स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह व हरि सिंह की कहानी, अनुभव व संस्मरण सुनकर डीसी ने कहा कि ऐसी महान विभूतियां हमारे लिए आदर्श हैं।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रभावित थे स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह :
स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह ने डीसी राहुल हुड्डा से अपने अनुभव व संस्मरण सांझा करते हुए बताया कि वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस से बहुत प्रभावित थे। वे नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के साथ आजादी की लड़ाई लड़ चुके हैं और सेना में भी देश की रक्षा में अहम योगदान दिया है।
रेवाड़ी जिला के गांव कोसली के मंगल सिंह, 103 साल की उम्र में भी भरपूर देशभक्ति का जज्बा रखते हैं। स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह का जन्म 5 जनवरी 1921 को एक किसान परिवार में हुआ था। स्कूली शिक्षा ग्रहण करने के बाद मंगल सिंह 1941 में आईएनए में भर्ती हुए थे। आजाद हिंद सेना ( soldiers of Azad Hind Fauj ) की सेवाओं के दौरान मंगल सिंह को जनरल मोहन सिंह, बाबू रास बिहारी बोस, जनरल शाहनवाज खां, जनरल सहगल, ब्रिगेडियर ढिल्लों और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के संपर्क में रहना अवसर मिला।
स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह 1941 से 1945 तक नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के साथ सैनिक की भूमिका में रहे और अंग्रेजो के खिलाफ देश की आजादी के लिए अपनी भूमिका अदा की। 1945 में बर्मा में रंगून सेंट्रल जेल में कैद रहे। बतौर सैनिक जीवन काल मे इन्होंने चार लड़ाई लड़ी-द्वितीय विश्व युद्ध, भारत-पाक युद्ध 1948, भारत-चीन युद्ध 1962, भारत-पाक युद्ध 1971 में भी देश सेवा के साथ सैनिक दायित्व निभाया। मंगल सिंह के दो बेटे धर्मवीर तथा उमेद सिंह और दो बेटियां इंदिरा देवी तथा लीलावती हैं जबकि इनकी पत्नी शांति देवी का निधन हो चुका है।
तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा के नारे के साक्षी हैं स्वतंत्रता सेनानी हरि सिंह :
गाव भुरथला निवासी स्वतंत्रता सेनानी हरि सिंह ने डीसी राहुल हुड्डा से अपने अनुभव व संस्मरण सांझा करते हुए बताया कि वे आजाद हिंद फौज ( soldiers of Azad Hind Fauj) में नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के साथ प्रारंभिक चरण में अक्टूबर 1941 में भर्ती हुए और मार्च 1946 तक आजाद हिंद फौज के सिपाही के रूप में सेवाएं दी और 22 साल की आयु में देश की आजादी के लिए जीवन समर्पित किया।
हरि सिंह ने बताया कि नेता जी के सम्पर्क में वे जर्मनी में आये और उस दौरान आयोजित सभा में नेता जी ने आह्वान किया था कि तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा। उन्होंने गौरवान्वित होते हुए बताया कि वे नेता जी के नारे के साक्षी हैं। इस आह्वान के दौरान वे देशभक्ति के जज्बे के साथ देश सेवा को समर्पित होकर आगे बढ़े और नेता जी के सिपाही के रूप में अपना दायित्व निभाया। उन्होंने बताया कि जर्मनी के बाद वे ईरान, इराक, बेल्जियम, इटली,अफगानिस्तान होते हुए कराची बंदरगाह से भारत आए थे। वर्तमान में वे अपने गांव में भरे पूरे परिवार के साथ रह रहे हैं। उनका एक बेटा, पुत्रवधू, दो पौत्र, 2 पौत्र वधु हैं।