काफी मंथन के बाद भाजपा ने उम्मीदवारों की पहली सूचि जारी कर दी. जिसमें रेवाड़ी और कोसली विधानसभा के नाम भी शामिल है. रेवाड़ी विधानसभा से भाजपा ने केवल राव इन्द्रजीत सिंह पर भरोसा न करके लक्ष्मण यादव को उम्मीदवार बनाया है. जबकि कोसली में राव इन्द्रजीत के भरोसे ही अनिल यादव को भाजपा ने टिकट दिया है.
बुधवार शाम को भाजपा ने अपने 67 उम्मीदवारों की सूचि जारी कर दी है. जिसमें रेवाड़ी जिले की बावल विधानसभा को छोड़कर रेवाड़ी और कोसली विधानसभा से भाजपा उम्मीदवारों के नाम सामने आ गए. रेवाड़ी विधानसभा से लक्ष्मण सिंह यादव और कोसली से अनिल यादव डहीना को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है. लक्ष्मण सिंह यादव कोसली से विधायक है. जिन्हें इस बार रेवाड़ी से भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारा है. जबकि अनिल यादव पूरी तरह राव इन्द्रजीत सिंह समर्थित है. जिन्हें भाजपा ने राव इन्द्रजीत सिंह के कहे अनुसार टिकट दिया है.
इसी तरह से बावल विधानसभा की बात कर रहे तो यहाँ से कहा जा रहा है कि राव इन्द्रजीत सिंह डॉ संजय मेहरा को टिकट देने की पैरवी कर रहे है. जबकि भाजपा डॉ बनवारी लाल को दौबारा टिकट देकर चुनाव लड़ाने के विचार में है. शायद यही वजह कि बावल सीट पर अभी नाम की घोषणा नहीं हुई है.
भाजपा के टिकट वितरण के गणित को समझें तो यहाँ भाजपा और केन्द्रीय राज्यमंत्री राव इन्द्रजीत सिंह के बीच टिकट बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ था. जिसके कारण ही भाजपा को पहली सूचि जारी करने में इतना वक्त लग गया. दक्षिण हरियाणा की 11 अहीर बाहुल्य सीटों पर राव इन्द्रजीत सिंह अपने मुताबिक उम्मीदवार चाहते थे. लेकिन भाजपा उन्हें 4-5 सीटें देने के मुड में है. भाजपा उम्मीदवारों की पहली सूचि से ये लग भी रहा है.
कोसली विधानसभा से भले भाजपा ने राव इन्द्रजीत के मुताबिक टिकट दिया हो लेकिन रेवाड़ी सीट से लक्ष्मण यादव को इसलिए उम्मीदवार बनाया गया है क्योंकि वे राव इन्द्रजीत सिंह और भाजपा संगठन दोनों के लिहाज से फीट बैठते है. हालाँकि रेवाड़ी विधानसभा से रणधीर सिंह कापड़ीवास मजबूत दावेदार थे. जो 2014 में भाजपा की टिकट पर बड़े मार्जन से जीतकर विधानसभा पहुँचे थे. लेकिन 2019 में रणधीर सिंह कापड़ीवास की टिकट भाजपा ने काटकर राव इन्द्रजीत सिंह समर्थित सुनील मुसेपुर को दे दी थी और कापड़ीवास बागी होकर चुनाव लड़े, जिसके बाद त्रिकोणीय मुकाबला हुआ और भाजपा की भीतरी लड़ाई का कांग्रेस को फायदा मिला था. 2019 वाला हाल दौबारा 2024 में ना हो इसलिए लक्ष्मण यादव को मैदान में उतारा गया है. लेकिन इस बार भाजपा नेता एवं पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव और भाजपा के ही परिवार पहचान पत्र के स्टेट को-ऑर्डिनेटर सतीश खोला निर्दलीय चुनाव लड़ सकते है.
इसी तरह से कोसली विधानसभा पर भी भाजपा उम्मीदवार को संगठन के नेताओं के विरोध का सामना तो करना पड़ सकता है. लेकिन यहाँ ( रामपुरा हाउस ) राव इन्द्रजीत सिंह का पूरा प्रभाव है. इसलिए विरोध का असर ज्यादा चुनाव परिणामों पर नहीं पड़ेगा. लेकिन कांग्रेस यहाँ से अगर राव याधुवेंद्र को टिकट देती है तो रामपुरा हाउस के वोट भी कुछ बंट जायेंगे. क्योंकि राव याधुवेंद्र राव इन्द्रजीत के छोटे भाई है. अगर कांग्रेस ने जगदीश यादव को टिकट दी तो फिर कोसली का चुनाव रामपुरा हाउस और एंटी रामपुरा हाउस का हो जायेगा.
वहीँ बावल विधानसभा सीट पर भी राव इन्द्रजीत सिंह के बिना भाजपा की नैया पार नहीं लग पायेगी. इसलिए शायद टिकट को होल्ड रखा गया है. लेकिन यहाँ भी केवल राव इन्द्रजीत के भरोसे जीतना संभव नहीं है. इसलिए ऐसा उम्मीदवार भाजपा को चुनावी मैदान में उतारना होगा , जो भाजपा और राव दोनों के मुताबिक सही हो. ऐसा इसलिए कि 2014 और 2019 में डॉ बनवारी लाल इसलिए जीत पायें क्योंकि भाजपा और राव इन्द्रजीत दोनों के वोट डॉ बनवारी लाल को मिले थे. लेकिन उससे पहले 2009 के चुनाव में इनेलो के रमेश्वर दयाल विधायक बने थे. उससे पहले सकुंतला भगवाडिया विधायक बनी थी. राव इन्द्रजीत सिंह अपने उम्मीदवारों चुनाव नही जीता पायें थे. इसलिए बावल सीट पर भी मंथन किया जा रहा है.
ऐसे में देखना होगा कि बावल से भाजपा किसे चुनावी मैदान में उतारती है और कांग्रेस से कौन चेहरे चुनावी मैदान में होंगे, साथ ही ये देखना भी दिलचस्प होगा कि निर्दलीय कौन लड़ता है और उनका कितना प्रभाव रहेगा.