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वर्चुअल व व्हाट्सएप के माध्यम से किसानों- वैज्ञानिकों से सीधा किया जाएगा संपर्क- डॉ. धर्मवीर यादव

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वर्चुअल व व्हाट्सएप के माध्यम से किसानों- वैज्ञानिकों से सीधा किया जाएगा संपर्क- डॉ. धर्मवीर यादव

क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र बावल में नए क्षेत्रीय निदेशक के रूप में डॉ. धर्मवीर यादव ने संभाला पदभार |

रेवाड़ी, 23 जून। चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र बावल में डॉ. धर्मवीर यादव ने नए क्षेत्रीय निदेशक के रूप में पदभार ग्रहण किया है, उन्हें यह जिम्मेदारी कुलपति प्रो. बी.आर. कम्बोज ने सौंपी है। इससे पहले डॉ. धर्मबीर करनाल में क्षेत्रीय निदेशक व हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार में परियोजना निदेशक के पद पर कार्यरत रह चुके है। डॉ. धर्मबीर को विशिष्ट शोध-कार्यों के लिए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल द्वारा विश्वविद्यालय के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक का पुरस्कार भी प्रदान किया जा चुका है।

डॉ. धर्मबीर का 27 वर्ष से अधिक समय शोध, शिक्षा एवं विस्तार के कार्य का अनुभव है। उन्होंने विशेषतौर पर खरपतवार नियंत्रण, जीरो-टिलेज, खरपतवारनाशक प्रतिरोधता प्रबंधन, धान की सीधी बिजाई, फसल अवशेष प्रबंधन व अन्य संसाधन-संरक्षण तकनीकों पर अपना शोध-कार्य किया है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ मिलकर विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य किया है, तथा अमेरिका, कनाडा, जापान, ऑस्ट्रेलिया, चेक रिपब्लिक आदि विभिन्न देशों में शोध-कार्य व अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में भाग लिया। अपने वैज्ञानिक कार्यकाल के दौरान उन्होंने 270 से अधिक शोध-पत्र व लेख आदि लिखे हैं, तथा किसानों के लिए 30 से अधिक नई तकनीकें विकसित की भी हैं।
  उल्लेखनीय है कि महेंद्रगढ़ जिला में गांव बिहाली उनका पैतृक गांव है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा अपने गांव बिहाली व अटेली स्कूल से की तथा उच्च शिक्षा हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार से प्राप्त की। डॉ. धर्मबीर स्कूल में हमेशा अव्वल आते थे तथा विश्वविद्यालय में भी एम.एस.सी. व पीएचडी में टॉपर रहे।

डॉ धर्मबीर ने कहा कि मुझे खुशी है कि मुझे इस क्षेत्र के किसानों की सेवा करने का अवसर मिला है। क्योंकि मैं इस क्षेत्र की समस्याओं से अच्छी तरह वाकिफ हूॅ, अत: इसके मद्देनजर नई परियोजनाएं तैयार की जाएंगी ताकि क्षेत्र की कृषि में प्रगति हो सके व किसानों की आय में वृद्धि हो। इसी कड़ी में उन्होंने आते ही आगामी खरीफ सीजन की शोध कार्ययोजना तैयार की व तकनीकी कार्ययोजना बैठक का आयोजन किया। जिसमें कुलपति प्रो. बी.आर. कम्बोज ने मार्गदर्शन दिया व अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत तथा विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों व वैज्ञानिकों ने भाग लिया और अपने सुझाव दिए।

  डॉ. धर्मबीर यादव के अनुसार उनका मुख्य फोकस इस क्षेत्र की समस्याओं को हल करने पर रहेगा। जैसे कम पानी में अधिक पैदावार लेने की विधियां, जलवायु अनुकूल तकनीक व किस्मों का शोधन, रोग एवं कीट रोधी उच्च उत्पादक किस्में, समन्वित पौषक तत्त्व प्रबंधन, उन्नत सस्य क्रियाएं, समन्वित कीट एवं व्याधि प्रबंधन, उन्नत कृषि यन्त्र, जैविक एवं प्राकृतिक खेती, फसल-विविधीकरण (दलहन, सब्जियों एवं बागवानी का समावेश), कृषि-वानिकी मॉडल, कटाई-उपरांत फसल प्रसंस्करण पर बल दिया जायेगा, ताकि टिकाऊ खेती हो और शुद्ध लाभ में वृद्धि हो। प्रयोगशालाओं को नवीनतम उपकरणों से सुसज्जित कर सुदृढ़ किया जाएगा, ताकि भविष्य की जरूरतों के अनुसार उच्च-कोटि का शोध-कार्य हो व क्षेत्र को इसका लाभ मिले। किसानों के खेत पर नवीनतम तकनीक के खेत-प्रदर्शन व ट्रायल लगाए जाएंगे, ताकि सीधा किसान-वैज्ञानिक संपर्क स्थापित हो। कोरोना महामारी के समय में वर्चुअल व व्हाट्सएप के माध्यम से भी किसानों से संपर्क बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे।