भ्रष्टाचार करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ लगातार एक्शन लिये जाने के बावजूद सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेने से बाज नहीं आ रहे है। अच्छा खासा वेतन लेने वाले अधिकारी कर्मचारी चंद पैसों की ख़ातिर अपना ईमान बेच रहे है। इन लोगों में रिश्वत से हांसिल करने वाले पैसों की भूख इतनी बढ़ गई है कि इनके हाथ जो लगे उससे अपनी जेब गर्म कर लेते है।
ताजा मामला GST डिपार्टमेन्ट से सामने आया है। जहां GST इंस्पेक्टर को विजिलेन्स टीम ने 2 हजार रूपय कि रिश्वत लेते रंगे हाथों काबू किया है। GST वेरिफिकेशन कि एवज में जीएसटी इंस्पेक्टर शिव पाल सिंह रिश्वत मांग रहा था। जिससे टीम ने काबू कर लिया है।विजिलेंस आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है।
जानकारी मुताबिक रेवाड़ी जिले के गांव ततारपुर इस्तेमुरार निवासी संजीव कुमार ने व्यवसाय करने के लिये एक फर्म बनाई है। जिसकी लोकेशन गाँव में ही दिखाई गई है। इस फर्म के लिए संजीव को GST नंबरों की आवश्यकता है और उन्होंने जीएसटी नंबरों के लिए टैक्स विभाग में आवेदन किया हुआ था। GST नंबरों के लिए विभागीय अधिकारी द्वारा मौके पर जाकर वेरीफिकेशन की जाती है। इसी वेरीफिकेशन के लिए इंस्पेक्टर शिवपाल सिंह ने दो हजार रुपये की डिमांड की थी, जिसे देने के लिए संजीव तैयार हो गया, लेकिन उन्होंने इसकी सूचना विजिलेंस को भी कर दी।
जिसके बाद धारूहेड़ा के बीडीपीओ करतार सिंह को ड्यूटी मैजिस्ट्रेट नियुक्त करते हुए विजिलेंस इंस्पेक्टर नवल किशोर शर्मा के नेतृत्व में एक टीम गठित कि गई और भ्रष्ट अधिकारी को पकड़ने के लिये जाल बिछाया । जिसके बाद जैसे ही फर्म की वेरीफिकेशन के लिए टैक्स इंस्पेक्टर शिवपाल सिंह गांव ततारपुर इस्तेमुरार पहुंचा, तभी टीम ने GST इंस्पेक्टर को 2 हजार कि रिश्वत लेते रंगे हाथों काबू कर लिया।
विजिलेंस इंस्पेक्टर नवल किशोर शर्मा ने बताया कि फर्म वेरीफिकेशन की एवज में टैक्स इंस्पेक्टर ने दो हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी तथा उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया है। अब आगामी कार्रवाई करते हुये मामले कि जांच कि जा रही है। उन्होने कहा कि कोई भी रिश्वत मांगता है तो उसकी शिकायत विजिलेंस टीम को जरूर दें ताकि भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी पर नकेल कसी जा सकें।