मुख्यमंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा कि पुराने समय में कुशल शिल्पकार युवा प्रशिक्षुओं को अपने शिल्प का कौशल सिखाते थे। आधुनिक शिक्षा प्रणाली के आगमन पर यह परंपरा लुप्त हो गई है। जिसे फिर से शुरू किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यवसाय और शिल्प में गुरू-शिष्य परंपरा को पुनर्जीवित करने की जरूरत है। विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय गुरु-शिष्य कौशल प्रशिक्षण तंत्र की स्थापना करेगा। जिसके तहत अनुभवी शिल्पकारों को नामांकन, मूल्यांकन और प्रमाणीकरण किया जाएगा। प्रमाणित शिल्पकारों को गुरु के रूप में नामांकित किया जाएगा।
गुरु-शिष्यों को प्रशिक्षण देंगे और सीखने के अवसर प्रदान करेंगे। प्रशिक्षण के पूरा होने पर शिष्य का मूल्यांकन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले चरण में एक लाख गुरु व शिष्यों को इसमें शामिल कर इसी साल इसका रिव्यू किया जाएगा। जिसके बाद इस योजना को अगले साल के लिए बढ़ाया जाएगा।