खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से अलग – अलग योजनायें चलाई जा रही है और अलग प्रयोग खेती में करके किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे है. जिसमें से एक स्टैकिंग विधि है जिसका प्रयोग करके बागवानी करने वाला किसान अच्छा मुनाफा कमा सकता है. हरियाणा सरकार द्वारा सब्जियों में बांस स्टैकिंग व लोहे स्टैकिंग को प्रयोग करने के लिए किसानों को 50 से 90 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान किया जा रही है। योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को बागवानी पोर्टल https://hortharyanaschemes.in पर ऑनलाइन आवदेन करना होगा।
रेवाड़ी उपायुक्त यशेंद्र सिंह ने बताया कि आधुनिक युग में खेती में नई-नई तकनीकें उभरकर सामने आ रही हैं। इससे किसानों को ढेरों फायदे पहुंच रहे हैं। सब्जियों की खेती में ‘स्टैंकिंग’ ऐसी ही एक विधि का नाम है, जिसे अपनाकर किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं। उन्होंने बताया कि नई-नई तकनीकों से खेती करने का सबसे बड़ा फायदा होता है कि इससे ढेर सारी जानकारियां मिलती हैं और दूसरी इनसे मुनाफा और फसलों की पैदावार भी अधिक होती है।
बांस व लौह स्टैकिंग पर दिया जाता है अलग-अलग अनुदान :
उपायुक्त ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा बांस स्टैकिंग की लागत 62 हजार 500 रुपए प्रति एकड़ पर 31250 से लेकर 56250 रुपए तथा लोहा स्टैकिंग लागत एक लाख 41 हजार रुपए प्रति एकड़ पर 70500 से लेकर एक लाख 26 हजार रुपए अनुदान प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बांस स्टैकिंग व लौह स्टैकिंग पर अधिकतम अनुदान क्षेत्र 1 से 2.5 एकड़ है। इस बारे में अधिक जानकारी वेबसाईट व दूरभाष नंबर 0172-2582322 पर प्राप्त की जा सकती है।
बहुत आसान है ‘स्टैकिंग’ तकनीक :
किसान पहले पुरानी तकनीक से ही सब्जियों और फलों की खेती करते थे। लेकिन अब किसान ‘स्टैकिंग’ तकनीक का इस्तेमाल कर खेती कर रहे हैं क्योंकि यह तकनीक बहुत ही आसान है। इस तकनीक में बहुत ही कम सामान का प्रयोग होता है। स्टैकिंग बांस व लौहे के सहारे तार और रस्सी का जाल बनाया जाता है।
‘‘स्टैकिंग’ विधि’ से सब्जियों में नहीं होती सड़न :
‘स्टैकिंग’ विधि’ से खेती करने पर सब्जियों की फसल में सड़न नहीं होती, क्योंकि वो जमीन पर रहने की बजाए ऊपर लटकी रहती हैं। करेला, टमाटर एवं लौकी जैसी फसलों को सड़ने से बचाने के लिए उनको इस तकनीक से सहारा देना कारगर साबित होता है। पारंपरिक खेती में कई बार टमाटर की फसल जमीन के संपर्क में आने की वजह से सड़ने लगती है, लेकिन स्टैकिंग तकनीक में ऐसी दिक्कत नहीं होती।