Rewari Shanidham: हिन्दू परंपरा में सभी देवी –देवताओं का विशेष महत्व है। कष्ट निवारण के लिए शनिदेव महाराज की पुजा की जाती है। रेवाड़ी शहर के बाला सराय मोहल्ला स्थित शनिदेव धाम रेवाड़ी का प्राचीन मंदिर है। बताते है कि करीबन ढाई सौ साल पहले मराठों के राज से पहले मंदिर कि स्थापना की गई थी। हरियाणा में रेवाड़ी और हिसार के अंदर ही दो बड़े शनिदेव महाराज के सबसे पुराने और बड़े मंदिर है। जहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते है और पुजा अर्चना करते है।
मराठों के समय के सिक्के मंदिर परिसर में थे मौजूद
मंदिर कमेटी (Rewari Shanidham) का संचालन करने वाले लोगों का कहना है कि जब मराठों का राज था तब राजा की सेना यहाँ से निकल रही थी। जिस सेना को शनिदेव की शक्ति ने उन्हे यहाँ रोक दिया था। जिसके बाद शनिदेव के दर्शन करने के बाद ही वो सेना आगे बढ़ पाई थी। कुछ समय पहले तक मराठों के समय के सिक्के भी मंदिर परिसर में मौजूद थे।
आज तक मंदिर मे नही हो पाई चोरी
कहा ये भी जाता है कि शनिदेव (Rewari Shanidham) की शक्ति का असर इतना रहा है कि चोर मंदिर से चोरी नहीं कर पायें। कई बार आपने सुना होगा कि मंदिर से चोर सामान चुरा ले गए। लेकिन इस मंदिर में आज तक चोर चोरी नहीं कर पायें। हालांकि चोरों ने चोरी का प्रयास कई बार किया था। लेकिन मंदिर कमेटी के सदस्य बताते है कि बाबा शनिदेव के चमत्कार के कारण चोर अंधे हो जाते या फिर बाबा की शक्ति के सामने सामान को छोड़कर भाग जाते।
शिंगनापुर गाँव में आजतक नहीं हुई कोई चोरी
बता दें कि शनिदेव महाराज का मुख्य मंदिर महाराष्ट्र के शनि शिंगनापुर गाँव में है। यहाँ लोग सम्पन्न होने के बावजूद अपने घरों पर ना दरवाजा लगाते है और न ही घर के अंदर रखे सामान पर ताला लगाते है। मान्यता है कि शनिदेव महाराज ने ग्रामीणों ने ऐसा कहा हुआ है। यहाँ पशुओं से बचाव के लिए बांस के डंडे जरूर लगाएँ जाते है। जब दूर दराज के भक्त यहाँ आते है तो वो वाहनों में ताले नहीं लाते है । ऐसा कहा जाता है कि आजतक कोई चोरी भी वहाँ नहीं हुई है। इस गाँव में बने शनि महाराज के चमत्कार की कहानी काफी चर्चित है।
शनि धाम में लोगों की बड़ी आस्था
रेवाड़ी शहर के धारूहेड़ा चुंगी स्थित बाला सराय मोहल्ले में बने शनि धाम (Rewari Shanidham) की लोगों में गहरी आस्था है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते है। शनिदेव की पुजा करने का भी अलग तरीका होता है। कहते है कि शनिदेव की मूर्ति की आँखों में आंखे डालकर नहीं देखना चाहिए, मूर्ति की सामने से पुजा ना करके साइड से पुजा करनी चाहिए। शनिदेव की पुजा करने के बाद शिव शंकर जी और हनुमानजी की पुजा अर्चना जरूर करनी चाहिए तभी शनिदेव की पुजा सफल मानी जाती है।