भागदौड़ की ज़िंदगी में हम अपने देश की सांस्कृतिक विरासत को भूलते जा रहे है। इसलिए स्कूलों की ज़िम्मेदारी है कि आने वाले पीढ़ी को एसी शिक्षा दी जाएँ, ताकि वे देश की सांस्कृतिक विरासत याद रखकर देशहित में काम करें। रेवाड़ी शहर के Raj International School का चार दिवसीय Annual Function अध्यात्म, साधना और सांस्कृतिक विरासत थीम पर आयोजित किया गया।
Raj International School का कहना है कि उनका फॉक्स किताबी शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा देने पर भी है। उनके स्कूल में छठी कक्षा से बच्चों को गीता पढ़ाई जाती है। स्कूल के Annual Function के दौरान वहीं झलक देखने को भी मिली, जहां बच्चों ने क्लचर्र कार्यक्रम और देश के अलग –अलग राज्यों की संस्कृति पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत किये।
कार्यक्रम के दौरान रतन टाटा जी के जीवन पर आधारित एक नाटक भी छात्रों ने प्रस्तुत किया। जिससे से संदेश दिया गया है कि सिखोंगे नहीं तो जीतोगे कैसे ! इस नाटक में रतन टाटा जी के अच्छे दिनों के साथ-साथ जीवन की कठिनाइयों से सीखने का संदेश दिया गया।
यहाँ आपको बता दें कि स्कूल के चार दिवसीय Annual Function के दौरान स्कूल में अलग –अलग क्षेत्र के प्रबुद्ध लोगों को आमंत्रित किया गया। ताकि उनसे भी बच्चे सीख सकें। कानूनी, वित्तीय, व्यापारी, समाजसेवी सहित सहित विभिन्न क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रहे लोगों ने बच्चों से अपना अनुभव सांझा किया। यहाँ खास बात ये कि Raj International School शायद देश का ऐसा पहला स्कूल है। जिस स्कूल में बच्चों ने छात्र अध्यक्ष का चुनाव किया है।
Raj International School के डायरेक्टर नवीन सैनी ने बताया कि उनके बच्चे बड़े होकर अच्छे उद्यमी, इंजीनियर, डॉक्टर बने उसकी तैयार बच्चों को प्राथमिकी शिक्षा से ही कराई जा रही है। उन्होने कहा कि उनका लक्ष्य बच्चे को कामयाब इंसान बनाने के साथ-साथ राष्ट्र निर्माण के लिए अच्छा इंसान बनाने पर भी है। स्कूल की नई सोच और स्कूल के कार्यों को कार्यक्रम में पहुंचे सभी लोगों ने खूब पसंद किया और प्रशंसा की ।