डीसी अशोक कुमार गर्ग ने कहा कि जिलाभर में डायरिया नियंत्रण पखवाड़े को सफल बनाने व अतिसंवेदनशील क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने के लिए स्वास्थ्य विभाग को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए है।उन्होंने बताया कि बाल्यावस्था में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में डायरिया का होना एक आम बात है जिसके चलते कई बार बच्चे की मृत्यु भी हो जाती है।
इस बीमारी का एकमात्र उपचार ओआरएस घोल एवं जिंक की गोली है जिसके माध्यम से बाल मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि पखवाड़े में ऐसे परिवारों को चिह्नित कर विशेष ध्यान देने को कहा गया है, जिनमें 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे पखवाड़े के दौरान दस्त रोग से ग्रसित हों। उन्होंने आमजन से अपील करते हुए कहा कि सभी रेवाड़ीवासी जिला में चलाए जाने वाले उपरोक्त अभियान में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर इसे सफल बनाने में सहयोग करें।
डोर टू डोर पहुँचकर ओआरएस पैकिट वितरित करेंगी आशा वर्कर
दूसरी ओर उप सिविल सर्जन डॉ अशोक कुमार ने दस्त नियंत्रण पखवाड़े की जानकारी देते हुए बताया कि बदलते मौसम के कारण वातावरण में गर्मी व उमस बढऩे से डायरिया यानी अतिसार का प्रकोप बढऩे की संभावना बनी रहती है। इन्ही कारणों को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इस कार्यक्रम के तहत जिला के सभी 27 ग्रामीण व शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर जागरूकता शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसमें पांच साल से छोटे लगभग 1 लाख बच्चों के अभिभावकों को स्वच्छता के प्रति जागरूक कर ओआरएस का घोल और जिंक टैबलेट वितरित किए जाएंगे।
डॉ अशोक कुमार ने बताया 15 जुलाई तक चलने वाले पखवाड़ा के तहत एएनएम, आशा वर्कर और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर बच्चों को ओआरएस घोल व जिंक की गोलियां वितरित करेंगी। उन्होंने कहा कि गरीब परिवारों के बच्चे स्वच्छता के अभाव में इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं इसलिए स्वास्थ्य विभाग खासतौर पर इन परिवारों में दस्त से पीडि़त बच्चों को ओआरएस घोल व जिंक की गोलियां देने के साथ उनके माता-पिता को स्वच्छता, पौष्टिक आहार एवं खाना खाने से पहले हाथ धोने के बारे में जागरूक करेगा।