80 वर्षीय दर्शना देशवाल शिक्षक पद से रिटायर है. उन्होंने इससे पहले राज्य, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई प्रतियोगिताओं में 20 पदक अपने नाम कर चुकी हैं. दर्शना देशवाल ने बताया कि बतौर टीचर वह लड़कियों को कबड्डी का प्रशिक्षण देती थी लेकिन खुद खेलने के लिए कभी मैदान में नहीं उतरी. रिटायर होने पर पति ने खेलने के लिए प्रेरित किया. पति ने उन्हें कहा था कि आखिरी दम तक खेल मैदान में अपना जौहर दिखाना है.
कहा से मिली खेलने की प्रेरणा
दर्शना देशवाल पानीपत जिलें के गांव अटावला व फिलहाल सेक्टर 13-17 में रहती है. उन्होंने बताया कि साल 2017 में 101 साल की उम्र में चंडीगढ़ की मनकौर ने राष्ट्रीय प्रतियोगिता में 100 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीता था. उनकी अखबार में छपी फोटो देखकर उनके मन में भी कुछ कर गुजरने का ख्याल आया और उनसे प्रेरित होकर अभ्यास शुरू कर दिया.उन्होंने बताया कि पति धर्मपाल देशवाल ने बांस की जैवलिन लाकर दी और अभ्यास करना शुरू कर दिया.
लोगों ने बनाया मजाक
उन्होंने बताया कि उनको खेलते हुए देख कर आसपास के लोगों ने मेरे इस उम्र में अभ्यास करने का मजाक भी उड़ाया लेकिन बिना किसी की परवाह किए मैंने अभ्यास जारी रखा. दर्शना देशवाल ने बताया कि पहली बार जिला स्तरीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीता तो मजाक उड़ाने वाले लोग ही तारीफ करने लगे. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और निरंतर अभ्यास जारी रखा.
पति को समर्पित
24 जनवरी 2022 को पति धर्मपाल भगवान को प्यारे हो गए. दर्शना देशवाल ने नेशनल चैंपियनशिप में जीते रजत पदक को अपने स्वर्गीय पति को समर्पित किया है.
क्या है उनका लक्ष्य
दर्शना देशवाल ने बताया कि उनका लक्ष्य एशियन व विश्व मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतना है और इसके लिए वो कड़ा परिश्रम कर रही है. उन्होंने बताया कि उनकी सफलता देख बुजुर्ग सहेली दया कौर व अन्य कई महिलाओं ने भी दौड़ का अभ्यास शुरू कर दिया है.