केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने नियम जारी किए हैं और पीएफ खाते के भीतर दो अलग-अलग खाते बनाए जाएंगे. इसके बाद, सभी मौजूदा कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) खातों को टैक्सेबल और नॉन-टैक्सेबल डिपॉजिट खातों में बांट दिया जाएगा. बिना टैक्स लगने वाले खातों में उनका क्लोजिंग अकाउंट शामिल होगा जैसा कि 31 मार्च, 2021 तक था. वित्त मंत्रालय ने 31 अगस्त को नए नियमों को अधिसूचित किया था और बाद में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को भी सूचित किया गया था.इस कदम से सरकार कर्मचारियों की ओर से पीएफ में जमा किए जाने वाले पैसे से हुई कमाई पर टैक्स लगाने में सक्षम हो सकेगी जो सालाना 2.5 लाख रुपये से अधिक हो. इसका मतलब हुआ कि पीएफ खाते के ब्याज से 2.5 लाख से अधिक कमाई होगी तो सरकार उस पर टैक्स लगाएगी.
क्यों बनाए जाएंगे दो अकाउंट
यह नियम 1 अप्रैल, 2022 से प्रभावी होगा. टैक्स एक्सपर्ट के अनुसार, सरकार की इस घोषणा ने किसी भी गलतफहमी को दूर कर दिया है और ब्याज गणना को और अधिक सुविधाजनक बना दिया है. इस निर्णय का मकसद ज्यादा कमाई वाले लोगों को सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के दुरुपयोग से रोकना है. ऐसे लोग इन योजनाओं का लाभ लेकर गारंटीड ब्याज के रूप में टैक्स मुक्त राशि जुटाते हैं. बैंक ब्याज की तरह पीएफ के ब्याज की गणना साल-दर-साल आधार पर की जाती है. टैक्स रिटर्न जमा करते समय, टैक्सपेयर्स को अपने पीएफ खातों में 2.5 लाख रुपये से अधिक ब्याज की कमाई को आईटीआर में शामिल करने के लिए बाध्य किया जाएगा.
2.5 लाख रुपये की सीमा गैर-सरकारी कर्मचारियों पर लागू होती है, दूसरी ओर 5 लाख रुपये की सीमा सरकारी कर्मचारियों के लिए है. फरवरी 2021 में पिछली बजट घोषणा ने टैक्सबेल इनकम की गणना कैसे की जाएगी, इस बारे में कोई सही जानकारी नहीं दी थी. न ही यह बताया गया कि इसे नॉन टैक्सेबल जमा राशि से कैसे अलग किया जाएगा.
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