Home ब्रेकिंग न्यूज जमीन की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ बढ़ाये उत्पादन क्षमता,जानें तरीका

जमीन की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ बढ़ाये उत्पादन क्षमता,जानें तरीका

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डीसी यशेन्द्र सिंह ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दे रही है। इस बार के बजट में भी प्राकृतिक और जैविक खेती के लिए घोषणाएं की गई हैं। उन्होंने कहा कि देश में व्यापक स्तर पर प्राकृतिक खेती बढ़ रही है और लोगों में इसके प्रति जागरूकता भी बढ़ी है। किसानों की फसल लागत को शून्य करने के लिए राज्य में प्राकृतिक और जैविक खेती के लिए तीन साल में उत्पादन आधारित कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। इसमें कलस्टर बनेंगे और प्रति कलस्टर में न्यूनतम 25 एकड़ भूमि पर उत्पादन होगा। प्राकृतिक खेती अपनाकर किसान न सिर्फ अपनी फसल लागत कम कर सकेंगे बल्कि इससे उत्पादित फसल का बाजार भाव भी सामान्य फसल से अधिक मिलेगा।
उपायुक्त ने कहा कि जहां एक ओर केमिकल के उपयोग से फसलों और फलों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, वहीं प्राकृतिक खेती के उपयोग से जमीन की उर्वरक क्षमता बढ़ने के साथ-साथ उत्पादन क्षमता भी बढ़ती है। उन्होंने किसानों को रासायनिकों का उपयोग छोड़ गोबर से बनी खाद का इस्तेमाल करने पर बल दिया। उन्होंने सभी किसान-बागवानों से आग्रह किया कि वे प्राकृतिक खेती को अपनाकर जमीन की उर्वरक शक्ति व क्षमता के साथ-साथ फसलों की पैदावार को भी बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि मिट्टी में लाभदायक देसी केंचुए और सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या बढ़ने से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढती है। इस विधि से फसल उत्पादन की लागत कम होने के साथ पैदावार लगभग दोगुना हो जाती है। प्राकृतिक खेती से उत्पादित खाद्यान, फल व सब्जियां पोषण युक्त और जहर मुक्त होती हैं। इससे लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। उन्होंने कहा कि किसान फसलों के विविधिकरण पर जोर देकर आमदनी को बढ़ा सकते हैं।