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हरियाणा में 29 एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन किए गए स्थापित, ट्वीट कर दी सीएम ने जानकारी

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पिछले कई वर्षों से राज्य सरकार द्वारा फसल अवशेष जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं. केंद्र सरकार की इन सीटू और एक्स सीटू नीतियों को राज्य सरकार द्वारा सफलतापूर्वक लागू किया गया है. इस दिशा में फसल अवशेषों को जलाने से रोकने के लिए किसानों को पर्यावरण के अनुकूल कटाई उपकरण वितरित किए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें उम्मीद है कि जल्द ही हरियाणा फसल अवशेष जलाने के मामलों से मुक्त होगा.

उन्होंने कहा कि राज्य में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कुछ विशिष्ट और लक्षित क्षेत्रों की पहचान की गई है. इन्हें सुधारने के लिए प्रत्येक जिले में विभिन्न उपायों के माध्यम से वायु प्रदूषण वाले हॉटस्पॉट को ग्रीनस्पॉट में बदलने की योजना है.इनमें वृक्षारोपण, रोड टॉपिंग, औद्योगिक उत्सर्जन का नियमन, वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण और सीएंडडी कचरे और ठोस कचरे का प्रबंधन शामिल हैं.

अपनाई गई ये नीति

मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां तक ​​औद्योगिक प्रदूषण पर नियंत्रण की बात है तो हम अपना एनसीआर पहले ही कर चुके हैं. सभी रेड श्रेणी इकाइयों के लिए जिलों में ऑनलाइन उत्सर्जन निगरानी उपकरणों को स्थापित करना अनिवार्य बनाने के लिए एक नीति अपनाई गई है. ये उपकरण केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्वर से जुड़े हैं. सभी उद्योगों की उत्सर्जन गतिविधियों और राज्य की वायु गुणवत्ता की निरंतर निगरानी के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुख्यालय में एक समर्पित निगरानी प्रकोष्ठ स्थापित किया जा रहा है.

एनसीआर में आने वाले 14 जिले

वर्तमान में हरियाणा के कुल 22 जिलों में से 14 जिले एनसीआर के अंतर्गत आते हैं. इसमें करनाल, जींद, महेंद्रगढ़, भिवानी, पलवल, चरखी दादरी, गुड़गांव, फरीदाबाद, झज्जर, रेवाड़ी, सोनीपत, पानीपत, रोहतक और नूंह शामिल हैं. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का केवल 2.69 प्रतिशत दिल्ली में आता है, जबकि 45.98 प्रतिशत हरियाणा में आता है. जबकि 26.92 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में और 24.41 प्रतिशत राजस्थान में है. उत्तर प्रदेश के आठ जिले और राजस्थान के दो जिले एनसीआर में हैं.