तमिलनाडु के कुन्नूर में वायुसेना के हेलीकॉप्टर क्रेश हो गया था, जिसमें देश ने अपने सीडीएस जनरल बिपिन रावत समेत 13 लोगों को खो दिया। इस चौपर में सीडीएस बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत भी मौजूद थी। सेना के हेलीकॉप्टर के हादसे की जानकारी लोगों को जैसे ही लगी, सबकी सांसे थम गई थी. सेना के हेलीकॉप्टर में बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और अन्य 11 लोग इसमें मौजूद थे. इस दुर्घटना ने देश ही नहीं पूरी दुनिया में गम का माहौल पैदा कर दिया है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्रमुख रक्षा अध्यक्ष सुबह 8:47 बजे पालम एयरबेस से भारतीय वायुसेना के एम्बरर विमान से रवाना हुए थे और सुबह 11:34 बजे सुलुर एयरबेस पर पहुंचे। सुलुर से उन्होंने एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर से करीब 11:48 बजे वेलिंगटन के लिए उड़ान भरी। उन्होंने बताया कि हेलीकॉप्टर दोपहर 12:22 बजे दुर्घटनाग्रस्त हुआ। सूत्रों का कहना है कि हादसे से पहले हेलीकॉप्टर से कोई डिस्ट्रेस कॉल नहीं आई है। ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि हादसे से पहले चालक दल के सदस्य डिस्ट्रेस कॉल भी नहीं कर पाए। लैंडिंग से पहले पायलट का मैसेज था कि वह 4000 फीट की ऊंचाई पर है और लैंडिंग बेस से 5 मिनट दूर है।
दुर्घटना के बाद घटनास्थल पर पहुंचे बचाव दल के सदस्य एनसी मुरली ने बताया कि हमने दो लोगों को जिंदा बचाया था.जिनमें जनरल रावत भी थे. उन्होंने बताया कि सीडीएस ने हिंदी में धीमे स्वर में अपना नाम बोला था.मैं जनरल बिपिन… बचावकर्मी तुरंत उन्हें अस्पताल लेकर भागे. लेकिन शरीर के निचले हिस्से में गहरे जख्म के कारण देश का यह वीर सपूत सदा के लिए सो गया.
वहां पहुंची बचाव कर्मियों की टीम ने यह भी बताया कि जलते हवाई जहाज के मलबे को बुझाने के लिए दमकल की मशीन को दुर्घटना स्थल तक ले जाने के लिए कोई रास्ता नहीं था. वे पास के घरों और नाले से पानी लाकर कॉप्टर में लगी आग को बुझाने का प्रयास कर रहे थे।