शहर का करीबन 5 किलोमीटर लम्बा सरकुलर रोड़ रेवाड़ी शहर की लाइफलाइन बना जाता है. जो लाइफ लाइन पार्किंग व्यवस्था ना होने से और सड़क पर वाहनों को पार्किंग करने से रुक-रुककर चलती है. आपको बता दें कि सरकुलर रोड़ स्थित अस्पताल सहित कई बड़े संस्थान है. जिनके पास पार्किंग की व्यवस्था नहीं है. सरकुलर रोड़ पर बने अस्पतालों में जब मरीज आते है तो वाहनों को सड़क पर ही पार्किंग कर देते है. यहाँ तक की अस्पताल के वाहन भी सड़क पर ही खड़े रहते है. जिसके कारण सरकुलर पर जाम जैसे हालत बने रहते है.
इसी तरह से बैंक या अन्य संस्थानों के बाहर भी वाहनों को सड़क पर पार्किंग किया जाता है. रेवाड़ी शहर के सरकुलर रोड पर अम्बेडकर चौक , धारूहेड़ा चुंगी , जैन स्कूल के पास, रेलवे चौक, कानोड़ गेट , नाइवाली के पास सरकुलर रोड पर बने अस्पताल और बैंक के बाहर सड़क पर ही पार्किंग की जाती है. जिसके कारण शहर में जाम जैसे हालात बने रहते है.
ट्रेफिक पुलिस ने अस्पतालों को भेजा नोटिस
यातायात पुलिस द्वारा बैंक को जारी नोटिस में लिखा गया कि शहर में आए दिन जाम की स्थित बनी रहती है। सीधे तौर पर अस्पतालों के नाम लिखते हुए कहा गया कि अस्पतालों के सामने गाड़ियां खड़ी रहती हैं, जिसकी वजह से वाहन चालकों को आवाजाही व आम जनता को काफीपरेशानियों का सामना करना पड़ता है। अत: 10 से 15 दिन के अंदर पार्किंग की व्यवस्था करें। अन्यथा अस्पताल के सामने रोड पर गाड़ी खड़े होने पर नियमनुसार कार्रवाई व एमवी एक्ट के तहत चालान किए जाएंगे।
जाम से मुक्ति दिलाना मकसद
शहर ट्रैफिक इंचार्ज बहादुर सिंह ने कहा कि सरकुलर रोड पर हर समय जाम लगा होता है। जाम से मुक्ति दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। अभी प्राइवेट अस्पतालों को नोटिस भेजे गए हैं। इसके साथ ही उन प्रतिष्ठानों और बैंक को भी चिन्हित किया जा रहा है, जिसकी वजह से रोड पर जाम लगता है। इन्हें पार्किंग की व्यवस्था करने के लिए नोटिस भेजे जा रहे हैं। अगर तय समय पर पार्किंग की व्यवस्था नहीं की तो कार्रवाई की जाएगी।
इस दिशा में नगर परिषद् को उठाना चाहिए कदम
शहर के बड़े संस्थानों को खुद पार्किंग की व्यवस्था सुनिश्चित करानी चाहिए. कोई ऐसा नहीं करता है तो नगर परिषद् को एक्शन लेना चाहिए लेकिन नगर परिषद् ऐसा नहीं करती है. हालाँकि नगर परिषद ने शहर के कुछ स्थानों पर पैड पार्किंग का टेंडर किये थे. जिसका व्यापारियों ने विरोध किया था. जिसके बाद पैड पार्किंग की व्यवस्था ठंडे बस्ते में चली गई.
इसी तरह से जिला प्रशासन ने वन-वे का फार्मूला भी आजमाया था. जिसका भी लोगों ने विरोध किया था और फिर वन-वे को बंद करना पड़ा था. कुल मिलाकर प्रशासन ने हमेशा एक फरमान जारी करके जाम से राहत दिलाने की कोशिश की है. अगर वाक्य में ग्राउंड पर काम किया होता तो आज शहर में ऐसा हालात नहीं होते है. ऐसे में देखना होगा कि ट्रेफिक पुलिस भी क्या नोटिस देने तक सिमित रहती है या कोई एक्शन भी लेती है.