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रेवाड़ी की ये बेटियां बोली, स्कूल में एडमिशन दिला दो सरकार

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धरनास्थल पर बैठकर मुख्यमंत्री से स्कूल में एडमिशन कराने की मांग कर रही इन बेटियां का कहना है कि वो गरीब है. वो पढना चाहती है. उनका स्कूल में एडमिशन करा दो….आपको बता दें कि कोरोना काल के बाद बड़ी संख्या में अभिभावकों ने आर्थिक तंगी के कारण अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूल में कराया है. रेवाड़ी शहर की रहने वाली गीतांजली और निशिका भी सरकारी स्कूल में जाना चाहती है. लेकिन जिस स्कूल में ये दोनों छात्राएं आठवीं तक पढ़ी है. वो स्कूल फ़ीस ना देने के चलते स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट नहीं दे रहा है.

 

बेटियों का कहना है. पिता ट्रेलिंग का कार्य करते है. कोरोना काल में काम ना होने और पिता की बिमारी के कारण उनके खाने की भी लाले पड़ गए है. इसलिए वो फ़ीस नहीं भर पायें . अब वो सरकारी स्कूल में पढना चाहती है लेकिन बिना टीसी के सरकारी स्कूल में एडमिशन होता नहीं है. प्राइवेट स्कूल बिना पैसे के टीसी देता नहीं है. यहाँ आपको बता दें कि कुछ समय पहले सरकार ने बिना टीसी यानि स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट के ही सरकारी स्कूलों में बच्चों का एडमिशन ले लिया था. जिसके बाद प्राइवेट स्कूलों ने विरोध किया और अब फिर टीसी अनिवार्य की गई है.

 

वहीँ छात्रा नंदनी का नियम 134 ए के तहत प्राइवेट स्कूल में एडमिशन होना था. जब वो स्कूल में एडमिशन के लिए जाते है तो गेट ही खोला नहीं जाता है. इस बारे में कई बार शिक्षा विभाग को शिकायत की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई . नियम134 ए के तहत पिछले दिनों प्राइवेट स्कूलों ने किस कदर गरीब बच्चों को परेशान किया था. ये जगजाहिर है. हालाँकि लम्बे समय तक चली टकरार के बाद कुछ बच्चों का एडमिशन प्राइवेट स्कूलों ने कर लिया तो कुछ बच्चों ने विभिन्न स्कूलों में दाखिला ले लिया. उनमें से कुछ बच्चे आज भी धक्के खा रहे है.

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