चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविधायलय में दो दिविसीय किसान मेले के पहले दिन हरियाणा के प्रत्येक जिले से एक प्रगतिशील किसान को अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। रेवाड़ी जिले से यह अवार्ड धारूहेड़ा के प्रगतिशील किसान संजय यादव पुत्र शमशेर यादव को कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज द्वारा हिसार में यह सम्मान प्रदान किया।
इस बार मेले में जल संरक्षण पर बल दिया गया। रेवाड़ी जिले में भी अब किसान खेती में विविधीकरण व नवचरों की तरफ़ अग्रसर हो रहे हैं। इस बार मेले का विशेष बल जल संरक्षण पर था।
कृषि विज्ञान केंद्र बावल के वरिष्ठ संयोजक डॉ जोगिंद्र सिंह यादव ने बताया कि अब जैविक खेती की तरफ भी काफी किसान बढ़ रहे हैं। समन्वित कृषि प्रणाली को अपनाकर अधिक कृषि आय प्राप्त कर रहे हैं। युवा मधुमक्खी पालन, वेर्मिकोंपोस्ट, डेरी व मशरूम में रुचि ले रहें है। केंद्र समय समय पर इन विषयों पर प्रशिक्षण देकर युवा, महिलाएं व किसानों को आगे बढ़ाने में प्रयासरत है।
धारुहेडा एर्गो-फार्म पर आग्रेनिक खेती का कार्यक्रम आज से चार साल पहले शुरु हुआ। जब मैंने आग्रेनिक खेती की शुरुआत की और आस-पास के किसानों से बातचीत की तो सब की तरफ से मुझे नकारात्मक सोच का सामना करना पड़ा। इसी दौरान मेरी मुलाकात कृषि विज्ञान केन्द्र बावल के डा. जोगिन्द्र सिंह से हुई। डां साहब की आग्रेनिक खेती को लेकर सोच सकारात्मक थी और उन्होंने मुझे इस मार्ग पर आगे चलने का साहस दिया और सहयोग का वादा किया जोकि उन्होंने बखूबी निभाया।
हमारे फार्म लगभग 40 एंकड में स्थित है इसमे से 12 एकड़ मे सूक्ष्म प्रणाली द्वारा की जाती है व 17 एकड़ मे मिनी सिप्रीक्लर का प्रयोग किया जा रहा है इस फार्म पर पिछले चार साल से किसी भी प्रकार का हानिकारक रसायनिक पदार्थ का प्रयोग नहीं किया गया है हमारे फार्म पर विभिन्न प्रकार की सब्जियां, गेहूं, सरसों, दालें, व कुछ औषधीय फसलें, जीवाआमृत व डिकम्पोजर द्वारा तैयार की जाती है। इस बार फार्म पर 2000 पौधों का पौधारोपण किया जा रहा है। जिसमे नीम, आंवला, बैलगीरी व विभिन्न प्रकार के फलदार पौधै भी लगाये जाये गये है।
फार्म को वर्मी कम्पोस्ट, जीवाअमृत, जैविक किटनाशक, जैविक फफूंदी नाशक व सभी प्रकार के जैविक उत्पादों से मिट्टी को जैविक खेती के अनुरुप ढाल दिया है। सभी प्रकार के खाद फार्म पर ही तैयार करने कि दिशा मे कार्य चल रहा है। फार्म पर खेती के आलावा मधुमक्खी पालन, डैयरी फार्मिंग, मुर्गी पालन, मछली पालन करने के साथ साथ फार्म को एग्रो टयूरिज्म में तब्दील किया जायेगा।
धारूहेड़ा के प्रगतिशील किसान संजय यादव ने बड़े स्तर पर जल संरक्षण को अपनाया है। अपने 40 एकड़ के रसायन मुक्त फार्म पर टपका व माइक्रो स्प्रिंक्लर से 29 एकड़ में जल संरक्षण को अपना हुआ है, जिसकी बदौलत उन्हें यह अवार्ड प्रदान किया गया है।