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नियम 134ए : स्टूडेंट्स ने डीसी के सामने दिया धरना, बोले स्कूल उन्हें निशुल्क पढ़ाने को तैयार नहीं

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टीवी स्क्रीन पर आप हरियाणा की शिक्षा व्यवस्था की दो तस्वीर देख रहे है. एक तस्वीर वो जहाँ बोर्ड की क्लास के बच्चों को मुख्यमंत्री मनोहर लाल टैबलेट वितरित कर रहे है. ताकि सरकारी स्कूलों के बच्चे भी तकनिकी के इस युग में पूछे ना रहें और अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकें. वहीँ दूसरी तस्वीर रेवाड़ी के डीसी ऑफिस के सामने की है जहाँ नियम 134ए के तहत सूरज स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे धरना प्रदर्शन कर रहे है. बच्चे कह रहे है उनके स्कूल परेशान कर रहा है. स्कूल की तरफ से उनपर फ़ीस के लिए दबाव बनाया जा रहा है और आज तो उन्हें स्कूल बस में बैठने ही नहीं दिया गया. इसलिए हरियाणा सरकार और शिक्षा विभाग इस और भी ध्यान दें. ताकि इन बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ना हो.   

आपको याद होगा की हाल में नियम 134ए के तहत प्राइवेट स्कूलों और सरकार के बीच लम्बे समय तक टकरार चली थी. जिस टकरार में गरीब बच्चे और अभिभावकों ने महीनों धरना प्रदर्शन किया था. जिसके बाद कुछ बच्चों का दाखिला नियम 134 ए के तहत निजी स्कूलों ने कर लिया था. उनमें से डीसी ऑफिस के सामने बैठे ये बच्चे भी शामिल है. जिनका सूरज स्कूल में एडमिशन हुआ था. लेकिन अब स्कूल उनपर फ़ीस के लिए दबाव बना रहा है. जबकि नियम ये है कि नियम 134 ए के तहत पढने वाले बच्चों से किसी भी तरह की फ़ीस स्कूल वसूल नहीं कर सकता है. स्कूल बच्चों को किस तरह से परेशान करता है वो आप बच्चों और उनके अभिभावकों की जुबानी ही सुनियें.

शिक्षा विभाग के अधिकारी बच्चों को आश्वासन देते हुए

गरीब बच्चों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे समाजसेवी एडवोकेट कैलाशचंद का कहना है कि मनमानी करने वाले स्कूलों पर उचित कार्रवाई नहीं की जाती है. निजी स्कूल बच्चों को परेशान करते है. बाल संरक्षण आयोग भी केवल नाम का है. बच्चों के उत्पीड़न पर बाल संरक्षण आयोग को संज्ञान लेना चाहिए. वहीँ शिक्षा विभाग के अधिकारी का कहना है कि उनकी स्कूल प्रिंसिपल से बात हुई है. अगर वो बच्चों को नहीं पढ़ाते है तो स्कूल को शो कोज नोटिस दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि किसी बच्चे को स्कूल परेशान करता है तो वो शिक्षा विभाग को शिकायत करें.

आपको बता दें कि नियम 134ए के तहत एडमिशन प्रकिया में हाल में ही सरकार ने कुछ बदलाव किया है. लेकिन उसका ये मतलब नहीं है कि जो बच्चे नियम 134 ए के तहत निजी स्कूलों में पढ़ रहे है. उन्हें परेशान करके फ़ीस वसूल की जाएँ. इस नियम के तहत उन्हें आज भी मुफ्त शिक्षा लेने का अधिकार है. ऐसे में जरुरी है कि शिक्षा विभाग मनमानी करने वाले स्कूलों से सख्ती से निपटें.