डीसी अशोक कुमार गर्ग ने आस पोर्टल की जानकारी देते हुए बताया कि अगर किसी व्यक्ति का कार्य राइट टू सर्विस एक्ट के तहत निर्धारित समय सीमा में नहीं होने पर ऑटो अपील सॉफ्टवेयर के तहत आवेदन अप्पेलेंट अथॉरिटी में चला जाएगा। अप्पेलेंट अथॉरिटी के दायरे में भी काम नहीं होने पर आवेदन आगे वरिष्ठ अधिकारी के पास चला जाएगा। अगर इन दोनों स्तरों पर भी कार्य का निपटान नहीं होने पर आवेदन स्वत: ही राइट टू सर्विस कमीशन के पास आ जाएगा। यह कदम सरकार ने जनहित को ध्यान में रखते हुए प्रशासनिक कार्यशैली को जवाबदेह,पारदर्शी, निष्पक्ष और प्रभावी बनाने के मद्देनजर उठाए हैं।
डीसी ने बताया कि आमजन से सीधे जुड़े सरकारी विभागों की अधिकांश सेवाएं सेवा का अधिकार अधिनियम के दायरे में नोटिफाई की हुई हैं। इनमें से अधिकतर सेवाएं ऑनलाइन सरल पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध करवाई जा रही हैं। आस-ऑटो अपील सॉफ्टवेयर आमजन के अधिकारों को सशक्त बनाने की दिशा में सरकार का एक अहम कदम है।
उन्होंने सॉफ्टवेयर का मुख्य उद्देश्य बताते हुए कहा कि अगर किसी व्यक्ति का काम समय पर नहीं होता और वह काम सेवा का अधिकार अधिनियम के दायरे में आता है तो ऑटो अपील सॉफ्टवेयर के तहत आवेदन अप्पेलेंट अथॉरिटी में चला जाएगा। हर स्तर पर निर्धारित समय अवधि के दौरान अपील पर एक्शन होगा। ऑटो अपील सॉफ्टवेयर के शुरू होने से लोगों के कार्य एक निर्धारित समय-सीमा के अन्दर होंगे।
डीसी ने बताया कि राइट टू सर्विस एक्ट के दायरे में आवेदक को सरकारी सेवाएं और योजनाओं का समयबद्ध लाभ देना संबंधित विभाग और अधिकारी का सेवा दायित्व है। उपमंडल स्तर पर कार्यरत सभी विभागों को अपने-अपने कार्यालयों के बाहर सेवा का अधिकार अधिनियम के अनुसार जन जागरूकता के लिए विभागीय सेवाओं का समय सीमा के साथ उल्लेख करना आवश्यक है।