नियम 134ए के तहत गरीब बच्चे एडमिशन के लिए धक्के खाने को मजबूर है. निजी स्कूलों ने आज एक बार फिर दो टूक कह दिया है कि सरकार पहले मांगे पूरी करें जिसके बाद ही एडमिशन लेने के बारे में विचार किया जाएगा. वहीँ जिला उपायुक्त यशेंद्र सिंह कहा है कि प्राइवेट स्कूलों की मांग प्रदेश सरकार के पास भेजी गई है. और एडमिशन के लिए अभिभावकों के आय प्रमाण पत्र की जाँच के लिए कमेटी बनाई गई है.
रेवाड़ी डीसी ऑफिस पहुंचकर तो कभी शिक्षा विभाग के कार्यालय पहुंचकर अपने बच्चों के एडमिशन के लिए गुहार लगा रहे ये वो अभिभावक है. जिनके बच्चों को एडमिशन नियम 134ए के जिले के प्राइवेट स्कूलों में होना है. लेकिन स्कूल पहुँचने पर अभिभावकों को तारीख पर तारीख मिल रही है. और आज लास्ट डेट होने के बावजूद बच्चों का एडमिशन प्राइवेट स्कूलों में नहीं हो पाया है. एडमिशन ना होने के कारण कई दिनों से धक्के खा रहे अभिभावक विरोध प्रदर्शन भी कर रहे है. लेकिन शायद शासन प्रशासन को बच्चों के भविष्य की कोई चिंता नहीं है. तभी उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. अभिभावक कहते है कि उन्होंने अपने बच्चों की टीसी कटकवार नियम134ए के तहत आवेदन किया था. ऐसे में अब वो कहाँ जाएँ ये समझ नहीं आ रहा है.
आपको बता दें कि इस वर्ष देरी से शिक्षा विभाग ने नियम 134ए foफॉर्म निकाले थे. 5 दिसंबर को प्राइवेट स्कूल ऑलोtट कराने के लिए परीक्षा कराई गई थी. 15 दिसंबर को जिले के करीबन 2 हजार से ज्यादा बच्चों को स्कूल ऑलोट कर दिए गए थे और एडमिशन ली लास्ट डेट 24 दिसंबर तय की गई. लेकिन प्राइवेट स्कूल एसोशिएशन ने अपनी विभिन्न मांग सरकार के सामने रखकर एडमिशन करने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद ये एडमिशन की तारीख बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दी गई. लेकिन आज भी बच्चों के एडमिशन नहीं किये गए.
प्राइवेट स्कूलों ने आज भी जिला उपायुक्त से मुलाक़ात करके अपनी मांगे रखी . और दो टूक कह दिया कि वो गरीब बच्चों का एडमिशन तभी करेंगे जब उन्हें सरकार 5 वर्षों की बकाया राशी जारी कर देगी. साथ ही प्राइवेट स्कूल संचालक नियम 134ए के तहत आने वाले बच्चों के गरीब होने पर सवाल खड़ा करके जाँच की मांग कर रहे है.
रामपाल यादव –जिलाध्यक्ष – हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन – रेवाड़ी
यहाँ आपको ये भी बता दें कि नियम 134ए के तहत प्राइवेट स्कूलों को दस फीसदी सीट ऐसे गरीब अभिभावकों के बच्चों के लिए आरिक्षित रखने का नियम है जिनकी वर्षीय आय एक लाख अस्सी हजार से ज्यादा ना हो. और शिक्षा विभाग एक रिटर्न टेस्ट करा बच्चों को स्कूल ऑलोट करता है. इन बच्चों की फ़ीस सरकार की तरफ से निजी स्कूलों को जारी की जाती है. लेकिन निजी स्कूल कह रहे है कि उन्हें 5 वर्षों से सरकार ने कोई पैसा दिया ही नहीं इसलिए वो एडमिशन नहीं करेंगे.
वहीँ जिला उपायुक्त यशेंद्र सिंह ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों की मांग प्रदेश सरकार को भेज दी गई है. और अभिभावकों के आय की जाँच के लिए एडीसी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है. जो आय प्रमाण पत्र की जाँच करेगी. जिसके बाद एडमिशन कराएं जायेंगे.
ऐसे में सवाल ये कि आखिर आय प्रमाण पत्र की जाँच सरकार पहले ही क्यों नहीं कराती है. क्यों निजी स्कूलों को फ़ीस राशी जारी करने में देरी करती है. और अगर सरकार ने पैसे जारी कर दिए है तो एडमिशन क्यों नहीं कराती है. और सबसे बड़ी बात ये कि सरकार और pप्राइवेट स्कूलों के बीच फंसे अभिभावक इसका खामियाजा क्यों भुगते , आखिरकार कबतक गरीब बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होता रहेगा.