Hanuman Ji Temple: बताया जाता है कि करीबन ढाई सौ वर्ष पहले हनुमान जी की इस मूर्ति को जयपुर से दिल्ली ले जाया जा रहा था। तब रेवाड़ी में विश्राम करने के बाद कई बैल जोड़ने के बावजूद बैलगाड़ी आगे नहीं बढ़ पाई थी। तब मौजिज़ लोगों ने कहा कि भगवान हनुमान जी चाहते है कि यही पर उनकी मूर्ति कि स्थापना की जाएँ। आपको बता दें कि मंदिर के पीछे ऐतिहासिक तेज सरोवर बड़ा तालाब है। इस मंदिर को बड़ा तालाब हनुमानजी के मंदिर से जाना जाता है।
हनुमानजी की मूर्ति पर चढ़ता है चमेली का तेल और सिंदूर
मंदिर के महंत सतीश वैशणव बताते है कि जब अहिरावण ने भगवान श्री राम लक्ष्मण का हरण करके पाताललोक बलि देने के लिए लेकर गए थे। उस वक्त की घटना को मूर्ति में दर्शाया गया है। हनुमानजी के कंधों पर राम -लक्ष्मण, हाथ में पहाड़ और पैरों में पाताल भैरवी को दर्शाया गया है। इस मंदिर में हनुमानजी की छोटी मूर्ति है। जिसपर चमेली का तेल और सिंदूर चढ़ता है।
शुक्ल पक्ष मंगलवार को चढ़ता है कुंजा
मंदिर के महंत सतीश वैशणव बताते है हजारों श्रद्धालु मंदिर में आते है। शुक्ल पक्ष के हर मंगलवार को मंदिर में मेले जैसा नजारा होता है। श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर मंदिर आते है और हनुमानजी के पैरों के अंगूठे पर कुंजे का भोग लगाते है। कोई भी नए काम की शुरुआत करता है, कोई नया वाहन लेता है या किसी का जन्मदिन हो , हर कोई बाबा के चरणों में जरूर आता है।