नियम 134 ए के तहत प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चों को निशुल्क पढने का अधिकार है. जिस अधिकार के तहत हाल में परीक्षा कराकर बच्चों को स्कूल ऑलोट किये गए थे. लेकिन अब प्राइवेट स्कूल संचालक गरीब बच्चों को दाखिला नहीं दे रहे है. प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन का कहना है कि सरकार पहले पिछले 7 वर्षों से बकाया राशी का भुगतान करें. जिसके बाद वो बच्चों का दाखिला कर लेंगे. वहीँ नियम 134ए के तहत गरीब बच्चों की मदद करने वाले समाजसेवी एडवोकेट कैलाशचंद ने कहा कि सरकार फ़ीस देने को तैयार है लेकिन प्राइवेट स्कूल फ़ीस नहीं ले रहे है.
रेवाड़ी के जिला उपायुक्त कार्यालय के सामने खड़े ये वो अभिभावक है जिनके बच्चों का नियम 134ए के तहत प्राइवेट स्कूलों में दाखिला होना है. लेकिन प्राइवेट स्कूलों ने दाखिला करने से इनकार कर दिया है. और अभिभावक परेशान है कि पता नहीं उनके बच्चों का एडमिशन होगा या नहीं. लिहाजा वो शासन – प्रशासन से गुहार लगा रहे है कि उनके बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ना किया जाएँ. आपको बता दें कि हर वर्ष नियम 134 के तहत गरीब परिवारों के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए एक रिटर्न टेस्ट कराया जाता है.
इस वर्ष भी करीबन ढाई लाख सीट पर टेस्ट कराये गए. जिसपर महज 66 हजार बच्चों ने ही आवेदन किया. और 5 दिसंबर को टेस्ट कराकर 15 दिसंबर को फाइनल लिस्ट विभाग ने जारी कर दी. यानी बच्चों को प्राइवेट स्कूल ऑलोट करब दिए. जिसपर अभिभावाकों ने कुछ जरुरी दस्तावेज लेकर स्कूल में दाखिला प्रकिया को 24 दिसंबर तक पूरी करनी है. लेकिन गरीब अभिभावकों के सामने संकट ये खड़ा हो गया है कि प्राइवेट स्कूलों ने दाखिला करने से इनकार कर दिया है.
आपको बता दें कि एक दिन पहले प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने बैठक करके ये फैसला लिया था कि वो तबतक नियम 134ए के तहत गरीब बच्चों को दाखिला नहीं देंगे जबतक कि सरकार उनके 7 वर्षों की बकाया राशि जारी नहीं करती है. उन्होंने सरकार को सुझाव भीं दिया कि सरकार सीधे बच्चों के खातों में फ़ीस के पैसे भेजे ताकि उन्हें समय पर फ़ीस मिले सकें और बच्चे भी अपने पसंद के स्कूल में पढ़ सकें. प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने नियम 134 ए के तहत दाखिला लेने वाले बच्चों के गरीब होने पर भी सवाल खड़े किये है. जिनका कहना है कि जो गरीबी के दायरे में नहीं है वो भी इसका लाभ ले रहे है.
वहीँ नियम 134ए के तहत गरीब बच्चों की दाखिला दिलाने में मदद करने वाले सामाजसेवी कैलाशचंद एडवोकेट ने कहा कि सरकार प्राइवेट स्कूलों को फ़ीस के पैसे देने के लिए तैयार है. लेकिन प्राइवेट स्कूल वो फ़ीस लेने को तैयार नहीं है. प्राइवेट स्कूल गरीब बच्चों को अपने स्कूल में दाखिला देना चाहते ही नहीं है . इसलिए वो ऐसा कर रहे है. उन्होंने कहा कि 24 दिसंबर तक अगर अभिभावकों ने दाखिला नहीं लिया तो ये सीट उक्त बच्चे की कैंसिल करके किसी ओर को ऑलोट कर दी जायेगी. इसलिए अभिभावक 24 दिसंबर से पहले ही शिक्षा अधिकारी या जिला उपायुक्त को शिकायत करें. साथ ही रिसीविंग जरुर ले ताकि अभिभावकों के पास प्रूफ हो. जिसके आधार पर क़ानूनी लड़ाई लड़ी जा सकें.
वहीँ शिक्षा विभाग का कहना है कि 24 दिसंबर तक दाखिला करा दिया जाएगा . नहीं हुआ तो तारीख बढाने के लिए उच्च अधिकारीयों को लिखा जाएगा. और प्राइवेट स्कूलों को नोटिस जारी किया जाएगा.
यहाँ आपको बता दें कि हर साल नियम134 के तहत पढने वाले बच्चों को परेशान करने के मामले सामने आते है. जिनका केस समाजसेवी कोर्ट डालकर मदद करते है. इस वर्ष तो सरकार द्वारा फ़ीस ना देने की बात कहकर प्राइवेट स्कूलों ने दाखिला लेने से ही इनकार कर दिया है. . ऐसे में गरीब अभिभावकों परेशान है और दाखिले के लिए धक्के खा रहे है.