Home रेवाड़ी पंचकूला में स्टेट टीबी सैल के तत्वावधान में ऑनलाइन वर्कशॉप आयोजित

पंचकूला में स्टेट टीबी सैल के तत्वावधान में ऑनलाइन वर्कशॉप आयोजित

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डा. सुखविंदर सिंह मंगलवार को पंचकूला में स्टेट टीबी सेल की ओर से आयोजित आनलाइन वर्कशाप में अपना वक्तव्य दे रहे थे। इस आन लाइन वर्कशाप में प्रदेशभर के जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी,सहायक सूचना एवं संपर्क अधिकारियों के अलावा अनेक मीडिया  संस्थानों के प्रतिनिधि आनलाइन जुड़कर अपने अपने सुझाव भी दिए तथा बीमारी की रोकथाम के लिए ज्यादा से ज्यादा कार्यक्रमों के आयोजन पर बल दिया गया।

 

इस बीच टीबी रोग का ट्रीटमेंट लेवल पूरा करते हुए बीमारी को हरा चुके मरीजों ने भी अनुभव सांझा किए और बताया कि बीमारी का अगर चिकित्सकों के परामर्श अनुसार इलाज लिया जाए तो,मरीज ठीक हो सकता है। इस मौके पर डा सुखवंत सिंह ने कहा कि देश व प्रदेश में से टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग और नैशनल टीबी हेल्थ मिशन द्वारा प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं,जिसके चलते अनेक कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मिशन द्वारा आरोगय साथी एप लांच किया गया है,जिसके माध्यम से टीबी रोगी इस बीमारी के निदान के लिए प्रोटोकॉल चैक कर सकते हैं,साथ ही मरीज को आहार स्वरूप मिलने वाली राशि की जानकारी भी ले सकते हैं।

 

उन्होंने कहा कि हरियाणा में इस बीमारी से लडने के लिए मिशन द्वारा 275 टीबी डाग्नोस्टिक सेंटर तथा मरीजों को दवाओं के लिए 8084 ट्रीटमेंट स्पाट सेंटर बनाए गए हैं,ताकि मरीज को अपना इलाज कराने के लिए दूरदराज नहीं भटकना पडे। इसके अलावा इस बीमारी की क्रिटिकल स्थिति होने पर सघन जांच के लिए रोहतक और करनाल में स्पैशल लैब बनाई गई हैं,जहां पर नमूनों की जांच की जाती है।

 

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि देश से वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन हो,इसके लिए विशेष प्रयास किए जाएं,जिसके चलते भारत सरकार द्वारा नेशनल स्ट्रैटेजिक प्लान बनाया गया है,जिसमें स्वास्थ्य विभाग के अलावा दूसरे विभाग भी कार्य कर रहे हैं। इसी उद्देश्य को लेकर नैशनल टीबी हेल्थ मिशन द्वारा जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि देशभर में 26 प्रतिशत केस टीबी से संबंधित हैं,जबकि देशभर में 14 साल तक के 28 प्रतिशत बच्चों में टीबी पाई गई है। टीबी से होने वाली मौतों में कमी लाते हुए नए केसों की संख्या में भी गिरावट लाना मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने हरियाणा में टीबी की वर्तमान स्थिति और इससे बचाव को लेकर विस्तार से प्रकाश डाला।

 

डा. सुखवंत सिंह ने कहा कि एचआईवी पीड़ित मरीजों को टीबी की संभावना अधिक रहती है और इस बीमारी के चलते मृत्यु दर भी ज्यादा रहती है,इसके अलावा जहां टीबी के मरीज ज्यादा होते हैं,वहां भी इस बीमारी के बढ़ने की संभावना रहती है,साथ ही हवा का प्रोपर वेंटिलेशन ना होने के कारण भी इस बीमारी को बढ़ावा मिलता है। इस अवसर पर टीबी को हराने वाले मरीजों ने भी अपने-अपने सुझाव रखे। किस प्रकार उन्होंने चिकित्सकों के संपर्क में रहकर इस बीमारी को सही तरीके से इलाज लेकर बीमारी को हराया। इस अवसर पर अनेक विशेषज्ञों ने ऑनलाइन सवालों के जवाब दिए और टीबी मुक्त प्रदेश बनाने में सहयोग की अपील दोहराई। ऑनलाइन वर्कशॉप में जिला रेवाड़ी जिला से डीआईपीआरओ दिनेश शर्मा, एआईपीआरओ सुरेश गुप्ता और कोसली एआईपीआरओ अश्वनी शर्मा सहित विभिन्न मीडिया प्रतिनिधियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।