कैप्टन अजय सिंह यादव ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि इसमें प्रमुख मुद्दा जातीय जनगणना का है. क्योंकि जातीय जनगणना नही होने की वजह से ही माननीय कोर्ट और सरकारें ओबीसी के आरक्षण के पीछे पडी हुई हैं। जबकि डा. मोइली ने 2011 में जातीय जनगणना शुरू करवाई थी और 2014 तक जनगणना हो भी गई थी लेकिन तब तक केंद्र में भाजपा की सरकार आ चुकी थी और आज आठ साल बीत जाने के बाद भी उसकी रिर्पोट आज तक उजागर नही की गई है।
इसके अलावा हर 10 वर्ष बाद जनगणना होती है और 2021 में जनगणना होनी थी उसको भी भाजपा सरकार नही करवा रही है। यही कारण है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में पंचायतों व निकाया चुनाव में ओबीसी का आरक्षण छीन लिया गया है। यदि सरकार चाहती है कि लोगों को उनका हक सही तरीके से मिले तो सही डाटा होना जरूरी है और वह केवल और केवल जातीय जनगणना के आधार पर ही मिल सकता है।
यादव ने कहा कि हम अपने ज्ञापन में क्रीमीलेयर का मुद्दा भी रखेगें क्योंकि जिस तरह से सरकारें एक षडयंत्र के तहत ओबीसी का आरक्षण छिनने में लग रही हैं। देश की सरकारी संस्थाओं का नीजीकरण किया जा रहा है और क्रीमीलेयर लगाकर उसमें भी कृषि व सेलरी को भी जोड दिया गया है उससे ओबीसी वर्ग अपने आरक्षण का फायदा नही ले पा रहा है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन ओबीसी का आरक्षण शिक्षा और नौकरियों सहित बिल्कुल ही खत्म हो जाएगा।
कैप्टन अजय सिंह ने कहा हम चाहते हैं कि निजी क्षेत्र में भी ओबीसी को आरक्षण मिले इसलिए हम अपने ज्ञापन में यह बात भी रखेगें। वहीं भारतीय सेना में पिछडा वर्ग की रेजीमेंट भी बननी चाहिए इसलिए अहीर रेजीमेंट सहित ओबीसी वर्ग की अन्य रेजीमेंट भी भारतीय सेना में बननी चाहिए। इसके अलावा ओबीसी उत्थान के लिए अलग से मंत्रालय, महिलाओं को दिए जा रहे 33 प्रतिशत आरक्षण में से ओबीसी की महिलाओं को 27 प्रतिशत आरक्षण, विद्दार्थियों को छात्रवृति और न्याय पालिका में भी ओबीसी को आरक्षण मिले एक आयोग बनाकर मेरिट लिस्ट के आधार पर उनकी नियुक्ति हो। जब तक देश की उच्चतर न्यायपालिका में ओबीसी का उचित प्रतिनिधित्व नही होगा तब तक ओबीसी वर्ग को न्याय नही मिलेगा।