केंद्र सरकार अब कर्मचारियों के लिए नया कानून( New Labour Code) लागू करने जा रही है. अब उन्हें काम के घंटे और दिनों में राहत मिल सकती है.नए वेज कोड में कई ऐसे प्रावधान दिए गए हैं. मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंध (Industrial Relations) और व्यवसाय सुरक्षा (Occupation Safety) और स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति पर चार लेबर कोड (Labour Codes) को अगले वित्त वर्ष 2022-23 (FY23) तक लागू किए जाने की संभावना है. वही केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस सप्ताह की शुरुआत में राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया था कि इसे कम से कम 13 राज्यों ने इन कानूनों के ड्राफ्ट रूल्स (Draft Rules) को तैयार कर लिया है.
बता दें, केंद्र ने इन संहिताओं के तहत नियमों को अंतिम रूप दे दिया है और अब राज्यों को अपनी ओर से नियम बनाने हैं, क्योंकि लेबर समवर्ती सूची का विषय है. केंद्र ने फरवरी 2021 में इन संहिताओं के मसौदा नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया पूरी कर ली थी. चूंकि श्रम एक समवर्ती विषय है, इसलिए केंद्र चाहता है कि राज्य भी इसे एक साथ लागू करें. इस नियम के कारण कर्मचारियों की सैलरी से लेकर उनकी छुट्टियों और काम के घंटे भी बदल जायेंगे. नए वेज कोड के तहत काम के घंटे बढ़कर 12 हो जायेंगे । श्रम एवम् रोजगार मंत्रालय ने बताया कि प्रस्तावित लेबर कोड में कहा गया है कि हफ्ते में 48 घंटे काम का नियम ही लागू रहेगा। इस कानून को लागू होते ही आपके टेक होम सैलरी और पीएफ स्ट्रक्चर (PF Rule) में बदलाव हो जाएगा.
PF की बढ़ेगी हिस्सेदारी
अभी नियोक्ता वेतन को कई तरह के भत्तों में बांट देते हैं. इससे मूल वेतन कम रहता है, जिससे भविष्य निधि और आयकर में योगदान भी नीचे रहता है. नई वेतन संहिता में भविष्य निधि योगदान कुल वेतन के 50 प्रतिशत के हिसाब से तय किया जाएगा. PF में कर्मचारियों का योगदान बढ़ने से कंपनियों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा. इसके साथ ही ज्यादा बेसिक सैलरी का मतलब है कि ग्रेच्युटी की रकम भी अब ज्यादा होगी और पहलेके मुकाबले एक से डेढ़ गुना ज्यादा हो सकती.
स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति पर श्रम संहिता के मसौदा नियमों को कम से कम 13 राज्य तैयार कर चुके हैं. इसके अलावा 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मजदूरी पर श्रम संहिता के मसौदा नियमों को तैयार किया है. औद्योगिक संबंध संहिता के मसौदा नियमो को 20 राज्यों ने और सामाजिक सुरक्षा संहिता के मसौदा नियमों को 18 राज्यों ने तैयार कर लिया है.
किसी कर्मचारी की Cost To Company (CTC) में तीन से चार कंपोनेंट होते हैं. बेसिक सैलिरी,हाउस रेंट अलाउंस (HRA),रिटायरमेंट बेनिफिट्स जैसे pf, ग्रेच्युटी और पेंशन और टैक्स बचाने वाले भत्ते जैसे- LTA और एंटरटेनमेंट अलाउंस.अब नए वेज कोड में ये तय हुआ है कि भत्ते कुल सैलरी से किसी भी कीमत पर 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकते. ऐसे में अगर किसी कर्मचारी की सैलरी 40000 रुपये महीना है तो उसकी बेसिक सैलरी 20,000 रुपये होनी चाहिए और बाकी के 20,000 रुपये में उसके भत्ते आने चाहिए,
हफ्ते में मिलेगी 3 दिन की छुट्टी
जानकारी के मुताबिक, नए ड्राफ्ट कानून में रोजाना कामकाज के अधिकतम घंटों को बढ़ाकर 12 करने का प्रस्ताव है. हालांकि सप्ताह में 48 घंटे ही काम करना होगा. अगर कोई व्यक्ति रोजाना 8 घंटे काम करता है तो उसे सप्ताह में 6 दिन काम करना होगा जबकि 12 घंटे काम करने वाले व्यक्ति को सप्ताह में 4 दिन काम करना होगा. दूसरे शब्दों कहा जाए तो इस कानून के लागू होने पर कर्माचारियों को एक या 2 दिन के बजाए सप्ताह में 3 दिन की छुट्टी भी मिल सकती है.