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नियम 134ए : निजी स्कूलों के सामने बेबस शासन -प्रशासन, मजबूर अभिभावक -बच्चे

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नियम 134ए : निजी स्कूलों के सामने बेबस शासन -प्रशासन, मजबूर अभिभावक -बच्चे

हरियाणा में नियम 134ए के तहत प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन होने की प्रकिया एक मजाक बनकर रह गई है. हद तो ये है कि निजी स्कूलों ने एडमिशन करने से इंकार किया हुआ है, बच्चे –अभिभावक दो महीनों से प्रशासन से गुहार लगा एडमिशन के लिए धक्के खा रहे है, प्रशासन केवल आश्वासन दे रहा है, और सरकार कोई ठोस कार्रवाई कर नहीं रही है. ऐसे में स्कूलों से बच्चों की टीसी कटाकर बैठे अभिभावक अपने बच्चों को लेकर कहाँ लेकर जाएँ ये समझ नहीं आ रहा है.

 

एडमिशन के लिउ खा रहे धक्के

रेवाड़ी जिला सचिवालय गेट पर खड़े ये बच्चे और उनके अभिभावक शिक्षा का अधिकार मांग रहे है. शासन – प्रशासन वो अधिकार इन्हें दिलाने में बोना साबित हो रहा है. लिहाजा बच्चे और अभिभावक दो महीनों से अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगा रहे है. लेकिन उन्हें एडमिशन की बजाए केवल आश्वासन मिल रहा है. आपको बता दें कि नियम 134 ए के तहत गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में पढने के अधिकार है. जिसके लिए शिक्षा विभाग एक लिखित परीक्षा भी आयोजित कराता है. जिसके बाद मैरिट के आधार पर बच्चों को स्कूल ऑलोट कर दिए जाते है.

नियम 134ए : निजी स्कूलों के सामने बेबस शासन -प्रशासन, मजबूर अभिभावक -बच्चे

वर्ष 2021 में भी ये प्रकिया देरी से की गई थी . जहाँ शिक्षा विभाग ने बच्चों को स्कूल तो ऑलोट किये लेकिन उन स्कूलों में बच्चों का एडमिशन प्रशासन नहीं करा पाया. अभिभावक कहते है शासन – प्रशासन ने निजी स्कूलों के सामने घुटने टेक दिए है. अगर सरकार इस नियम के तहत एडमिशन दिला ही नहीं सकती है तो उनकी परीक्षा क्यों कराई गई. बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित अभिभावकों ने आज फिर जिला सचिवालय पहुंचकर गुहार लगाईं. लेकिन आज भी केवल आश्वासन देकर बच्चों और अभिभावकों को वापिस भेज दिया गया.

ऐसे में सवाल ये कि आखिर कबतक ऐसा चलता रहेगा ?  क्यों निजी स्कूलों पर सरकार कार्रवाई नहीं कर रही है ? अगर सरकार एडमिशन नहीं करा सकती तो फिर एक्जाम ही क्यों करायें ? क्या शिक्षा का अधिकार महज मजाक है ?