केंद्र सरकार आए दिन नई- नई घोषणा करती है .केंद्र सरकार ने अब असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को पेंशन के रूप में आर्थिक सहायता देने की योजना बना रही है.इस योजना को चरम सीमा पर पहुचाने के लिए सरकार ‘डोनेट पेंशन’ अभियान चलाने की तैयारी में है. यह अभियान उस ‘गिव इट अप’ अभियान का हिस्सा होगा, जिसके तहत लोगों को रसोई गैस की सब्सिडी जरूरतमंदों के लिए छोड़ने के लिए प्रेरित किया गया था.इसमें लोगों को अपनी इच्छा से इस पेंशन के लिए सहयोग देने के लिए प्रेरित किया जाएगा.
PM-SYM लाखों असंगठित श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा देने के उद्देश्य से शुरू की गई एक स्वैच्छिक पेंशन योजना है. यह 18-40 आयु वर्ग के असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों पर आधारित है जो हर महीने 15,000 से कम कमाते हैं. इसके तहत एक मजदूर को 55 रुपये से लेकर 200 रुपये के बीच योगदान करना होगा, जबकि सरकार की ओर से भी एक समान योगदान प्रदान किया जाएगा. यह योजना 3 साल पहले शुरू की गयी थी. 3 साल पहले इस योजना के शुरू होने के बाद से अक्टूबर तक कुल मिलाकर 45.1 लाख अनौपचारिक श्रमिकों को नामांकित किया गया है. हालांकि, यह देश में अनुमानित 38 करोड़ अनौपचारिक श्रमिकों की तुलना में बहुत कम है. उनमें से अधिकांश को 60 वर्ष की आयु के बाद किसी भी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा के बिना छोड़ दिया गया है.
Economic Times की रिपोर्ट के अनुसार ‘डोनेट पेंशन’ अभियान में एक व्यक्ति को केवल 36,000 रुपये प्रति मजदूर खर्च आने की संभावना है. यह प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन (पीएम-एसवाईएम) योजना के तहत एकमुश्त भुगतान है, जो श्रमिक द्वारा अपने पूरे जीवन के दौरान किए जाने वाले मासिक योगदान की भरपाई करेगा. इस योजना के तहत लाभार्थी 60 वर्ष की आयु से 3,000 रुपये मासिक पेंशन के लिए पात्र होगा. रिपोर्ट के मुताबिक शीर्ष सरकारी अफसरों ने बताया है कि श्रम मंत्रालय इस संबंध में उच्च स्तर पर विचार के लिए प्रस्ताव तैयार कर रहा है.
श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में केवल 35 श्रमिकों ने योजना के तहत नामांकन किया, जबकि 85 ने सितंबर में पंजीकरण कराया था. साल में अब तक औसत मासिक पंजीकरण 2,366 रहा है. अधिकारी ने इस संबंध में कहा, ‘अगर इसे मंजूरी मिल जाती है तो यह योजना को पुनर्जीवित करेगी और लाखों श्रमिकों को इसके दायरे में लाएगी.’