बताया जा रहा है कि इस साल के अंत तक दिल्ली के एम्स (Delhi AIIMS) से हरियाणा के झज्जर के बीच बनाया जा रहा मेडिकल ड्रोन कॉरिडोर बनकर तैयार हो जाएगा.इस कॉरिडोर के बनने से दिल्ली एम्स से झज्जर की घंटो की दूरी मिनटों में तय की जा सकेगी.इस मेडिकल ड्रोन कॉरिडोर के बारे में एम्स अधिकारियों का कहना है कि कॉरिडोर के लिए दिल्ली पुलिस से मंजूरी मिलने का इंतजार है, इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री द्वारा ड्रोन सुविधा शुरू की जाएगी.
क्या मिलेगा फायदा
ड्रोन प्रमुख एरोडाइन इंडिया ग्रुप के एमडी अर्जुन अग्रवाल ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि कई बार ऐसी स्थिति सामने आई है किसी ट्रांस्पलांट अंग को दूसरे शहर से लाने के लिए ट्रैफिक के लिए कॉरिडोर बनाया गया है. हालांकि कई शहरों में ट्रैफिक कॉरिडोर बनाना मुश्किल है इसलिए मेडिकल ड्रोन कॉरिडोर से इसमें काफी मदद मिलेगी. इस कॉरिडोर के बनने के बाद ड्रोन की मदद से नमूनों को परीक्षण के लिए दिल्ली परिसर में ले जाना आसान हो जाएगा. जिससे रोगी का इलाज भी समय पर हो पाएगा. यदि यह मेडिकल ड्रोन कॉरिडोर सफल होता है, तो विभिन्न राज्यों में अन्य चिकित्सा संस्थान प्रौद्योगिकी और उपकरणों के बेहतर उपयोग के लिए इस मॉडल को अपनाया जा सकता है.
सबसे पहले ड्रोन का उपयोग
एक अधिकारी ने कहा कि एक ड्रोन कॉरिडोर एक अलग-अलग हवाई क्षेत्र से जुड़ा होता है, जिसे हवाई क्षेत्र के डिजाइनरों के परामर्श से उपयुक्त अधिकारियों द्वारा देखा जाता है. पिछले साल ड्रोन का उपयोग भारत में कोविड -19 के नमूने भेजने के लिए किया गया. शुरुआत में ड्रोन का उपयोग ब्लड के नमूनों, बल्ड उत्पादों और दवाओं को ले जाने के लिए किया जाएगा.