जानकारी के मुताबिक, जहां रोबोटिक खच्चर के दम पर सैनिक ज्यादा भार उठा सकेंगे तो वहीं, जेट पैक सूट्स के दम पर वो 50 किमी की रफ्तार से दौड़ भी लगा सकते हैं। इससे भारतीय सैनिकों की मोबिलिटी में जबरदस्त इजाफा होगा। दोनों उत्पादों के लिए बोली जमा करने की आखिरी तारीख 7 फरवरी है। सफल बोली लगाने वाले को कम से कम दस साल के लिए रखरखाव प्रबंधन करना होगा।
हवा में उड़ेंगे सैनिक
जेट पैक सूट एक टरबाइन आधारित प्लेटफॉर्म है, जो अलग-अलग इलाकों में सैनिकों को सतह से सुरक्षित रूप से उठा सकता है। इसे कंट्रोल करने का पूरा सिस्टम हवा में उठाने वाले सैनिक के हाथों में ही होता है। जेट पैक सूट सैनिकों को 50 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से ”उड़ान भरने” में सक्षम बना सकते हैं। भारतीय सेना ने अपने टेंडर में स्पष्ट किया है कि जेट पैक सूट को सुरक्षित चढ़ाई, सुरक्षित टेक-ऑफ और लैंडिंग और सभी दिशाओं में अटैक करने में सक्षम होना चाहिए। जेट पैक सूट ईंधन, डीजल या मिट्टी के तेल पर चल सकता है। इसकी अधिकतम गति 80 मील प्रति घंटा है और यह तकनीकी रूप से 12 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंचने में सक्षम हैं। जेटपैक की शेल्फ लाइफ 10 साल होगी।
पहाड़ों में सामान ढोएंगे रोबोट
भारतीय सेना अभी तक ऊंचाईयों पर तैनात सैनिकों के लिए रसद आदि पहुंचाने के लिए पशु परिवहन (ऊंटों) का इस्तेमाल करती थी, जिसमें काफी समय लगता था। लेकिन अब सेना पशु परिवहन को बदलने के लिए रोबोटिक खच्चर खरीद रही है। भारतीय सेना ने रोबोटिक खच्चर खरीदने के लिए भी टेंडर निकाला है। भारतीय सेना ने अपने टेंडर में स्पष्ट किया है कि रोबोट खच्चरों को 10 हजार फीट की ऊंचाई तक सामान ले जाने में सक्षम होना चाहिए। रोबोट को ऊबड़खाबड़ इलाकों में चढ़ाई चढ़ने और उतरने में सक्षम होना चाहिए। रोबोटिक खच्चर में 10 किलो वजन ढोने की क्षमता होगी। सेना का मानना है कि प्रासंगिक पेलोड के साथ रोबोट खच्चरों को कम से कम 100 किमी दूर से ट्रैक किया जाएगा।
जेटपैक सूट और रोबोट खच्चर खरीदने वाला भारत होगा तीसरा देश
भारतीय सेना ने यह भी क्लियर किया है कि ये इन हाईटेक सामान (जेटपैक सूट और रोबोट खच्चर) मेक इन इंडिया होने चाहिए यानी इनकी खरीद भारतीय कंपनियों से ही की जाएगी। संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम के बाद भारत तीसरा देश बन जाएगा, जिसके पास जेटपैक सैनिक होंगे। इनका इस्तेमाल चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं के अलावा कई जगहों पर किया जा सकता है। यूनाइटेड किंगडम के रॉयल मरीन भी जेटपैक का उपयोग कर रहे हैं।