भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) को एक बड़ी सफलता मिली है। GSI ने जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में लिथियम के भंडार का पता लगाया है। इस लिथियम की अनुमानित मात्रा 5.9 मिलियन टन है। इस बार GSI को लिथियम का भंडार मिला है। यह देश में मिला लिथियम का पहला भंडार है।
क्या है लिथियम
लिथियम एक रासायनिक तत्व है। साधारण परिस्थितियों में यह प्रकृति की सबसे हल्की धातु और सबसे कम घनत्व-वाला ठोस पदार्थ है। रासायनिक दृष्टि से यह क्षार धातु समूह का सदस्य है और अन्य क्षार धातुओं की तरह अत्यंत रिएक्टिव है। जिसका मतलब है कि लिथियम अन्य पदार्थों के साथ तेज़ी से रासायनिक अभिक्रिया (chemical reaction) कर लेता है। अपनी इस अधिक अभिक्रियाशीलता (reactivity) की वजह से यह प्रकृति में शुद्ध रूप में कभी नहीं मिलता बल्कि केवल अन्य तत्वों के साथ यौगिकों (compounds) के रूप में ही पाया जाता है।
फोन से लेकर सोलर पैनल तक लिथियम की जरूरत
एक ओर जहां केंद्र सरकार की आज़ादी के 100 वर्ष पूरे होने से पहले यानी वर्ष 2047 तक भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने की योजना है तो वहीं विद्युत मंत्रालय ने वर्ष 2030 तक नियोजित नवीकरणीय क्षमता से बिजली प्राप्त करने के लिए व्यापक योजना तैयार की है। इसके लिए सरकार लगातार सौर ऊर्जा को बढ़ावा भी दे रही है। चाहे वह मोबाइल फोन हो या सोलर पैनल हर जगह लिथियम की आवश्यकता होती है। देश में लिथियम के मिलने से केंद्र सरकार के ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी।
इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी को बनाने में महत्वपूर्ण
लिथियम एक धातु है, जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी को बनाने में किया जाता है। वर्तमान में केंद्र सरकार देश में पब्लिक और प्राइवेट ट्रांसपोर्ट दोनों क्षेत्र में इलेक्ट्रिक व्हीकल पर फोकस कर रही है। इसके लिए लिथियम भंडार का होना बहुत जरूरी है। आज के समय में शायद ही कोई होगा जिसने लिथियम आयन बैटरी का नाम न सुना हो। बैटरी से संचालित लगभग हर उपकरण में इन्हीं बैटरियों का प्रयोग होता है और इन बैटरी का मूल घटक लिथियम ही है। लिथियम आयन बैटरियों की क्षमता ज्यादा होती है और अन्य रासायनिक क्रियाओं पर आधारित बैटरियों की तुलना में इनकी उम्र भी लंबी होती है। लिथियम आयन बैटरियों के दम पर ही इलेक्ट्रिक वाहन एक ही चार्ज में 500 से 700 किमी तक चलने मे सफल हो रहें हैं। लिथियम आयन के कारण ही एक चार्ज पर मोबाइल फोन कई दिन चल जाते हैं।
लिथियम के मामले मे भारत आयात पर निर्भर
टेक्नोलॉजी के बढ़ते प्रयोग को देखते हुए सरकार महत्वपूर्ण धातुओं की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने की दिशा में सतत प्रयास कर रही है। अभी लिथियम, निकेल और कोबाल्ट जैसे कई अहम खनिजों के लिए भारत आयात पर निर्भर है। आयात पर निर्भरता कम करने के लिए आवश्यक है कि देश में महत्वपूर्ण खनिजों के भंडार खोजे जाएं और उनकी प्रोसेसिंग हो। वर्तमान में चीन और ऑस्ट्रेलिया दुनियाभर में लिथियम के बड़े सप्लायर हैं। अपने विशाल लिथियम भंडार के चलते ये अपनी मनमानी भी करते हैं। अब भारत में भी लिथियम भंडार का पता चलने के बाद भारत की इन भर निर्भरता थोड़ी कम होगी।