टेक्नोलॉजी के इस दौर में हमने तेजी से डिजिटल ट्रांजेक्शन और ऑनलाइन शॉपिंग सहित अपने तौर तरीके बदल लिए है. साइबर धोखाधड़ी करने वाले ठग भी अलग –अलग तरीकों से लोगों को ठगी का शिकार बना रहे है. ओटीपी या बैंक डिटेल्स शेयर करके या फिर लोटरी लगने का झांसा देकर ठगी करने का तरीका पुराना हो गया है. अब ठग मदद करने के नाम पर एक लिंक पर क्लिक करने के लिए बोलते है. जैसे ही आप क्लिक करें तो आपका बैंक बैलेंस साफ़ हो जायेगा.
उदाहरण के दौर पर आप हिमांशु के साथ हुई ठगी के मामले से समझियें, हिमांशु यूपी के रहने वाले है और बिलासपुर के पास एक निजी कम्पनी में काम करते है. हिमांशु ने एक शोपिंग साईट पर 199 रूपए कि हाथ की घड़ी पसंद कर खरीद ली. ऑर्डर के बावजूद घड़ी जब उसे नहीं मिली तो उसने गूगल से हेल्पलाइन नंबर लेकर संपर्क किया. हिमांशु को नहीं पता था कि जिस नम्बर पर वो सम्पर्क कर रहा है वो ठग का नम्बर है.
ठग ने मदद के लिए हिमांशु को कहा कि वो व्हाट्सएप पर लिंक भेज रहा है. उस पर क्लिक करें. हिमांशु ने क्लिक किया तो कुछ देरी बाद ही उसके खाते से 30500 रूपए की नगदी साफ़ हो गई. थोड़ी देर बाद जब हिमांशु को ठगी का पता चला तो उसने साइबर क्राइम के ऑनलाइन पोर्टल पर शिकायत की.
दरअसल ठग ने लिंक के जरिये हिमांशु की बैंक डिटेल्स ली और फिर बैंक खाते में सेंध लगा दी. हाल में जो ठगी के मामले सामने आ रहे है. उसमें देखा गया है कि मदद के लिए लोग गूगल पर हेल्पलाइन सर्च करते है. लेकिन यहाँ सर्च में ठगों के नम्बर ऊपर आते है. जिसपर कॉल करने के बाद लोग ठगी का शिकार हो जाते है.
ये गलती ना करें
- मोबाइल पर आये किसी भी लिंक को बिना सोचे समझे क्लिक ना करें.
- वेरीफाई शोपिंग साईट से ही शोपिंग करें.
- गूगल पर सर्च करने पर आयें सभी हेल्पलाइन सही नहीं होते इसलिए सम्पर्क करने से पहले नम्बर की जाँच जरुर कर लें.
- किसी के मदद करने की बात पर विश्वास ना करके कोई भी एप अपने फोन में इंस्टोल ना करें.
- अपनी पर्सनल इन्फोर्मेशन पब्लिक डोमेन में शेयर ना करें.
कृपया जागरूकता के लिये इस इनफार्मेशन को शेयर जरुर करें.