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हरियाणा में एचआरईसी की जमीन निजी कंपनी ने ली कौड़ियो के दामो में  

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हरियाणा में एचआरईसी की जमीन निजी कंपनी ने ली कौड़ियो के दामो में  

हरियाणा रोडवेज इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (HREC) गुरुग्राम बुरे दौर से गुजर रहा है। वर्षों से परिवहन विभाग ने इधर कुछ भी काम नही किया है,उल्टा इसकी 6 एकड़ जमीन कौड़ियों के भाव निजी कंपनी को लीज पर दे दी गई। कंपनी ने प्रशिक्षण केंद्र बनाने के लिए तीन साल पहले जमीन ली थी, लेकिन आज तक सिर्फ दीवार ही लगाई। प्रशिक्षण केंद्र कागजों में ही चल रहा है। एचआरईसी (HREC)के पास आज खुद के लिए जगह का अभाव है और उसे रोडवेज बसों की चेसिज इधर-उधर खड़ी करनी पड़ रही हैं। करोड़ों की जमीन को लगभग 34 पैसे गज के हिसाब से एक लाख रुपये मासिक लीज पर दिया गया है। इससे कॉरपोरेशन के कर्मचारियों में खासी नाराजगी है।

 

एचआरईसी (HREC) के पास कुल 18 एकड़ जमीन है, जिसमें से 6 एकड़ लीज पर जाने के बाद 12 एकड़ में काम चलाना पड़ रहा है। नई बसों की चेसिज खड़ी करने को जगह कम पड़ रही है। कर्मचारी इस पक्ष में हैं कि जमीन वापस ली जाए। जिससे चेसिज बाहर न खड़ी करनी पड़े। अगर वहां प्रशिक्षण केंद्र बन जाता, तो चालक प्रशिक्षित होते, लेकिन वह कागजों तक ही सीमित रहा। इस बड़ी गड़बड़ी का मामला सरकार के पास भी पहुंचा पर कार्रवाई के नाम सिर्फ जमीन लीज पर देने वाला अफसर का तबादला करके  ही खानापूर्ति कर दी गई। जमीन लीज पर लेने वाली बड़ी कंपनी यहां अभी तक कोई काम नहीं कर रही, जिस पर परिवहन विभाग के अफसर आंखें मूंद कर बैठे हुए हैं।

हरियाणा में एचआरईसी की जमीन निजी कंपनी ने ली कौड़ियो के दामो में  

प्रशिक्षण केंद्र न बनाने पर कंपनी की लीज रद्द कर जमीन वापस एचआरईसी (HREC)को सौंपी जा सकती है, मगर परिवहन विभाग इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहा। इस जमीन का सदुपयोग कर विभाग घाटे में चल रही कॉरपोरेशन को उबार सकता था, मगर उस दिशा में कदम न उठाने से स्टाफ में रोष है। चूंकि, उन्हें तीन-तीन महीने तक वेतन नहीं मिलता। घर चलाना मुश्किल हो रहा है। इसलिए वे जमीन को कौड़ियों के भाव लीज पर देने के खिलाफ हैं।

परिवहन विभाग में कुछ महीने रहीं प्रधान सचिव आईपीएस कला रामचंद्रन ने तबादले से एचआरईसी (HREC)  का दौरा किया था। जहां उनके संज्ञान में यह मामला लाया गया। इससे पहले वह कोई कदम उठातीं उनकी मूल महकमे में वापसी हो गई। अब नए प्रधान सचिव आईपीएस (IPS) नवदीप विर्क पर कर्मचारियों की नजरें टिकी हुई हैं।

SOURCE: amar ujala