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स्वास्थ्य सेवा व्यापार की बड़ी मंडी – एडवोकेट कैलाश चंद्र

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स्वास्थ्य सेवा व्यापार की बड़ी मंडी – एडवोकेट कैलाश चंद्र

  • स्वास्थ्य सेवा व्यापार की बड़ी मंडी – एडवोकेट कैलाश चंद्र
  • चिकित्सा नागरिकों का मौलिक अधिकार

अधिवक्ता कैलाश चंद्र और अन्य अधिवक्ताओं सहित आमजन ने सोमवार को प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज व सरकार के स्वास्थ्य विभाग सचिव व राजनीतिक विपक्ष दल के  नेता भूपेंद्र सिंह हूडा को पत्र भेज  मांग की है कि प्रदेश में अस्पतालों में सुविधाओं की कमी है . मौजूदा  हालात में कोविड -19  महामारी के अलावा लोग रोजमर्रा की अन्य बीमारियों से जूझ रहे हैं . इस बारे में आप पहले से वाकिफ हैं कि हमारा संविधान भारतीय नागरिकों को स्वास्थ्य के साथ लापरवाही करने की अनुमति किसी सरकार को नहीं देता है

संविधान का अनुच्छेद 21 सीधे-सीधे भारतीय नागरिकों के जीवन का दायित्व सरकार पर डालता है , इसमें हर व्यक्ति की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करना सरकार का कार्य है,  यदि आमजन/ आम आदमी को वक्त पर इलाज नहीं मिलता है तो यह  तो जीने का अधिकार पर अतिक्रमण है,  जिस तरह निजी क्षेत्र ने चिकित्सा के क्षेत्र में पांव पसारे हैं, इससे सेवा कार्य व्यापार की बड़ी मंडी बनकर रह गया है,

माननीय न्यायपालिका ने समय-समय पर जिम्मेदारी निभाते हुए राज्य और केंद्र को संवैधानिक बोध कराया है, लेकिन उसका परिणाम कुछ खास नहीं निकला , अगर माननीय सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्थाएं देखें तो पाते हैं कि 1984, 1987 और 1992 के कुछ प्रकरणों में यह कहा गया था कि चिकित्सा नागरिकों का मौलिक अधिकार है,  इसी प्रकार 1996 , 1997 में पंजाब और बंगाल  के दो मामलों में माननीय सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि स्वास्थ्य सुविधाएं देना सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है I  कोविड-19 महामारी काल में भी अनेक राज्यों के उच्च न्यायालय इस बात का पुरजोर समर्थन देते रहे कि चुनी हुई सरकार अपने नागरिकों के मौलिक अधिकार से बच नहीं सकती और  मेडिकल इमरजेंसी के नाम पर नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कुचलने की इजाजत नहीं दी जा सकती |

कैलाश चन्द्र ने कहा कि हमारे जिले के सिविल अस्पताल के हेल्प सेंटर ,  प्राइमरी हेल्थ सेंटर आदि में लोग सुविधाओं से कोसों दूर है . अस्पतालों में न तो डॉक्टर हैं और न ही अन्य पूरा स्टाफ है . हाल  यह है कि स्थानीय लोगों को इलाज करवाने के लिए प्राइवेट या  दूरदराज के अस्पतालों में जाना पड़ता हैं. हेल्थ सेंटरों में डॉक्टरों और स्टाफ नर्सों की कमी के कारण मरीजों को पूरी सुविधाएं नहीं मिल पा रही है.  हालात यहां तक है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों द्वारा ज्यादातर दवाइयां बाहर के निजी मेडिकल स्टोर से लेने के लिए लिख दिया जाता है . सरकारी अस्पताल में सभी दवाइयां उपलब्ध ना होकर कुछ दवाइयां ही मिल पाती है .

कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ ही अस्पतालों में तकनीकी रूप से दक्ष कर्मचारियों के घोर संकट पैदा हो गया है , अमीर आमजन प्राइवेट अस्पतालों में सुविधा पूर्वक इलाज करवा लेते हैं, लेकिन मौजूदा हालातों में गरीब आमजन की हालत अत्यंत दयनीय है. दरअसल स्वास्थ ओर शिक्षा की सुविधाएं अमीरों और गरीबों के लिए समान होनी चाहिए और यह तभी संभव है जब सभी स्वास्थ्य सुविधाएं सरकार को उनके नियंत्रण में हो, सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा सुविधाएं हर चुनाव में बड़ा मुद्दा बनते हैं.

उपरोक्त विषय में हमारे जिले के लोग हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ,  स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को सरकारी अस्पतालों की खस्ता हालात को सुधारने के लिए लगातार गुहार लगा रहे हैं , लेकिन कई वर्षों बाद भी स्थिति जस की तस है , ज्यादातर फैसलों  में न्यायपालिका ने साफ साफ कहा है कि हालात गंभीर हो और उसी समय से इलाज न मिले तो यह फांसी पर लटकाने से भी ज्यादा क्रूर है . यही नहीं राज्य के नीति निर्देशक तत्वों ने भी कुछ अनुच्छेद 45 के हवाले से कहा गया है कि लोगों के स्वास्थ्य सुधार और राज्य प्राथमिक कर्तव्य मानेगा , पर हम देखते हैं कि राज्य ग्रामीण और अंदरूनी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर बनाने में मुंह मोड़ते जा रहे हैं केंद्र और राज्य स्तर पर चुनिंदा शहरों में एम्स या मेडिकल कॉलेज खोलकर दायित्व निभाया जा रहा है

 शायद आपको ज्ञात हो कि लोगों को समस्याओं से मुक्ति दिलवाने के लिए लोकतंत्र में सत्ता से बाहर दलों की सत्तासीन राजनीतिक दल के बराबर की ही भूमिका होती है . आज तक सरकारी सुविधाओं के लिए आप की पार्टी में आप के कार्यकर्ताओं ने कितने प्रदर्शन किए हैं इस बारे विचार करे.  इसलिए हम आमजन पत्र के माध्यम से आप सभी राजनीतिक दलों से प्रार्थना करते हैं कि हमारे जिले की चरमराई स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए प्राथमिक तौर पर  संपूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं सुधारने  की मेहरबानी करें . लोगों को हर बात के लिये कोर्ट जाने के लिए मजबूर  न करें …. पत्र द्वारा मांग करने वाले आमजन, कैलाश चंद एड्वोकेट, जितेन्द्र सिंह चौहान, राजेन्द्र कॉमरेड, सीमा सैनी एड्वोकेट, अजय एड्वोकेट, विकास एड्वोकेट, दिनेश यादव एड्वोकेट, आशीष रोहिल्ला एड्वोकेट, विजय यादव एड्वोकेट, मुकेश एड्वोकेट, संजय, अनिता, हरिओम सैनी व अन्य शामिल रहे|