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हरियाणा सरकार: स्कूल फ़ीस को लेकर हरियाणा सरकार ने बनाया नया फार्मूला

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हरियाणा सरकार: स्कूल फ़ीस को लेकर हरियाणा सरकार ने बनाया नया फार्मूला

हाल ही में हरियाणा सरकार ने प्राइवेट स्कूल में पढने वाले बच्चों की स्कूल फीस के लिए नया फॉर्म्युला तैयार किया है। सरकार ने शिक्षा के नियमों में संशोधन करते हुए प्राइवेट स्कूल फीस में महंगाई को नैशनल कन्ज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के साथ लिंक कर दिया है।सरकार ने यह फैसला इसलिए उठाया है ताकि प्राइवेट स्कूलों की तरफ से मनमानी फीस वृद्धि को लेकर अभिभावकों को कोई कष्ट न हो ।

 

नए नियमों के अनुसार वार्षिक फीस वृद्धि करना चाह रहे स्कूलों को एक फॉर्म्युला मानना पड़ेगा। कोई भी स्कूल नैशनल कन्ज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के ऊपर अधिकतम 5 प्रतिशत तक ही चार्ज कर सकता है। हरियाणा स्कूल विभाग के अडिशनल चीफ सेक्रेटरी की तरफ से जारी नोटिस में बताया गया है कि राज्यपाल ने हरियाणा शिक्षा नियम, 2003 में संशोधन पर सहमति जताई है।

 

 

क्या है नियम

अगर किसी समय के लिए CPI की दर 4 प्रतिशत है। तो पिछले साल की फीस में अधिकतम 9 प्रतिशत (4 प्रतिशत+5 प्रतिशत) की बढ़ोत्तरी की जा सकती है। सरकारी निर्देश के अनुसार मान्यता प्राप्त स्कूल सब रूल (4) के उपनियम 1 के तहत फीस में बढ़ोत्तरी कर सकता है। पिछले वर्ष टीचिंग स्टाफ के मासिक वेतन में औसत बढ़ोत्तरी के बराबर ही हो सकती है। सीपीआई के साथ 5 प्रतिशत की अधिकतम बढ़ोत्तरी हो सकती है।

 

फीस और फंड रेग्युलेशन कमेटी (FFRC) ने बढ़ती फीस के मद्देनजर आ रही शिकायतों के बाद नए नियम बनाने का सुझाव दिया। सेकेंड्री एजुकेशन के निदेशक जे गणेशन ने बताया कि स्कूलों की फीस को लेकर दबाव बढ़ता जा रहा था। उन्होंने कहा कि यह फैसला पैरेंट्स और स्कूल, दोनों के हित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

 

जानिए किन स्कूलों पर लगेगा 2 लाख का जुर्माना

हरियाणा सरकार ने हालांकि बजट प्राइवेट स्कूलों को नियम में छूट दी है। पांचवीं क्लास तक 12 हजार सालाना और 6 से 12वीं तक 15 हजार या उससे कम लेने वाले स्कूलों को छूट दी गई है। अधिकारियों के अनुसार नया फीस स्ट्रक्चर अगले अकादमिक सत्र से प्रभाव में आएगा। जो स्कूल इसे फॉलो नहीं करेंगे, उन पर 2 लाख का जुर्माना लगाया जाएगा और लाइसेंस भी कैंसिल हो सकता है।

 

फीस के नियम में संशोधन में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कोई भी मान्यता प्राप्त स्कूल लगातार पांच शैक्षिक वर्ष के पहले यूनिफॉर्म को चेंज नहीं कर सकता है। साथ ही किसी भी स्टूडेंट को किताब, जूते, यूनिफॉर्म, स्टेशनरी खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।