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जीएसटी रजिस्ट्रेशन से मुक्ति: अब छोटे ऑनलाइन कारोबारियों को मिलेगी जीएसटी रजिस्ट्रेशन से मुक्ति

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जीएसटी के रजिस्ट्रेशन मामले से जुड़े एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि देश की पांच साल पुरानी इस अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में इस कदम से संरचनात्मक बदलाव आएगा. मौजूदा समय में ऑफलाइन कारोबारियों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता तभी होती है जब उनकी सालाना बिक्री 40 लाख रुपये से अधिक होती है. जबकि ऑनलाइन कारोबारियों को अनिवार्य रूप से जीएसटी का रजिस्ट्रेशन कराना होता है, भले ही उनकी सालाना बिक्री कुछ भी हो. यदि यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है तो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों कारोबारी इस मामले में एक समान हो जाएंगे.

 

यह नियम कारोबार में बाधक

सरकारी सूत्र ने लाइव मिंट से कहा, “जीएसटी रजिस्ट्रेशन के मुद्दे पर ऑनलाइन और ऑफलाइन विक्रेताओं के बीच समानता लाने के लिए उद्योग और व्यापार जगत के प्रतिनिधियों ने सरकार से संपर्क किया है. उनका कहना है कि छोटे कारोबारियों के बड़े ग्राहक आधार तक पहुंचने में मौजूदा नियम बाधक हैं. केंद्र और राज्य सरकारों के बीच इस मामले को लेकर बातचीत चल रही है. जीएसटी काउंसिल की लॉ कमिटी पहले इस प्रस्ताव की जांच करेगी. उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा.”

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छोटे व्यापारियों को मिलेगा फायदा

डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एम.एस मणि के मुताबिक, “सरकार अगर यह कदम उठाती है तो इससे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को काफी फायदा होगा और उन्हें बढ़ावा मिलेगा. ऑनलाइन और ऑफलाइन कारोबारी इस मामले में एक समान हो जाएंगे. इससे वे छोटे कारोबारी भी ऑनलाइन कारोबार को प्रेरित होंगे जो अभी तक डिजिटल रूप से नहीं जुड़े हैं.” बहुत से कारोबारी जीएसटी रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता की वजह से ही अपने प्रॉडक्ट ऑनलाइन बेचने से कतराते हैं.

 

व्यापार ऑनलाइन होने से होगा फायदा

भारत में 63 लाख से अधिक अनइनकॉरपोरेटेड, गैर-कृषि एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम व्यवसाय) हैं. ये देश की कुल अर्थव्यवस्था में एक तिहाई योगदान देते हैं. इनमें से 23 लाख से अधिक व्यापारी हैं और लगभग 20 लाख निर्माता हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा अनौपचारिक है. उसके ऑनलाइन होने से काफी फायदा हो सकता है.