डीसी अशोक कुमार गर्ग ने जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना के तहत दलहन फसलों (मूंग, उड़द, अरहर) को 6500 एकड़ क्षेत्र तथा तिलहन फसलों (अरण्ड, तिल, मूंगफली) को 3500 एकड़ क्षेत्र में बढावा देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि दलहन व तिलहन की फसल लगाने वाले किसानों को 4000 रुपए प्रति एकड़ की दर से वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इसके लिए किसानों को मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा और सत्यापन उपरान्त सहायता राशि उनके खाते में स्थानांतरण कर दी जाएगी।
डीसी ने बताया कि दाल वाली फसलें मृदा के स्वास्थ्य को अच्छा बनाती है व हवा की नाईट्रोजन को जमीन में फिक्स करती है जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। इससे किसानों को खेत में नाईट्रोजन खाद की कम मात्रा की जरूरत पड़ती है। तिलहन वाली फसलों को बढ़ावा देने से खाद्य तेल की कमी को पूरा किया जा सकेगा।
उन्होंने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे दलहनी व तिलहनी फसल की बिजाई के निर्धारित लक्ष्य को पूरा करते हुए किसानों को फसल की अधिक पैदावार लेने के लिए नवीनतम जानकारी उपलब्ध कराएं। किसानों को इन फसलों की अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों के बारे में भी जानकारी दें।