नमस्कार दोस्तों वैसे तो हम रेवाड़ी अपडेट पर रेवाड़ी से सबंधित न्यूज पब्लिश करते है । लेकिन हमें लगता है कि ये जानकारी भी आपतक पहुंचना जरूरी है । क्योंकि रेवाड़ी के काफी लोग शिमला गए है और जाने के इच्छुक है । जो लोग पहली बार शिमला जाने की सोच रहे है ये लेख खासतौर पर उनके लिए है । क्योंकि आज हम आपसे पहली बार शिमला जाने का अनुभव सांझा करने जा रहे है।
चड़ीगढ़ से जैसे ही आप हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करेंगे तो पहाड़ों की श्रृंखला शुरू हो जाती है । पहाड़ो का रास्ता काफी खतराभरा होता है । लेकिन उस रास्ते को आसान और सुगम बनाने के लिए सोलन तक करीबन फोरलेन हाइवे का काम इनएचएआई ने पूरा कर दिया है । जिसके आगे भी काम चल रहा है । करीबन ढाई घंटे के सफर के बाद जैसे ही आप पहाड़ो की रानी यानी शिमला शहर पहुंचते है तो वहां अपनी गाड़ी को पार्किंग ( इस जगह को पार्किंग लिफ्ट से जाना जाता है) लगा दीजिए और फिर सड़क पार करके लिफ्ट के जरिए आप टैंक रोड़ पहुंच जायेंगे । जो लोग शिमला कभी नहीं गए होंगे उन्होंने भी टैंक रोड़ का नाम सुना होगा । जहां ब्रिज पर चर्च बना हुआ है और वहां पर ही देश के शान तिरंगा झंडा लहराता दिखाई देता है। जिसके नीचे खड़े होकर गर्व महसूस होता है।
वहां पर जो बाते मुझे बताई गई और मैने महसूस कि उसमें पहली ये कि डीजल गाड़ी और बड़ी गाड़ी आप वहां लेकर ना जाएं । ज्यादा सर्दी में डीजल गाड़ियों में स्टार्ट करने की परेशानी हो सकती है. और पहाड़ो में ज्यादा मोड़ और सड़के ज्यादा चौड़ी नहीं है इसलिए वहां अधिकांश छोटी गाड़िया ही वहां नजर आयेंगी। साफ़ सफाई के इंतजाम भी वहां अच्छे किये हुए है. और ना ही लोगों के पीछे बिखारी घूमते वहां नजर आयें.
शिमला से ऊपर जाकर कुफरी जगह काफी फेमस है । जहां जाने के लिए और पहाड़ों में सफर का मजा लेने के लिए वहीं से टैक्सी बुक कर सकते है। रास्ते में ऐसी काफी प्वाइंट है जहां से कुदरत का नजारा बेहद खूबसूरत नजर आता है। हमनें कुफरी और जाखू धाम दोनों जगह के लिए टैक्सी बुक की थी। इन दोनों जगह के आलावा भी वहां काफी ऐसे स्थान ही जहाँ आप जा सकते है लेकिन हम जहाँ गए वहीँ का जिक्र करेंगे.
जैसे ही आप कुफरी पहुँचते है तो आगे के सफर के लिए और एडवंचर के लिए आपको अलग से पैकेज लेना होगा. जैसे घोड़े कि सवारी के 500 रूपए प्रति व्यक्ति और आगे जीप में सफ़र के 500 रूपए अतिरिक्त देने होंगे. करीबन 3 किलोमीटर घुड़सवारी करके आप टॉप में पहुँचते है तो वहां पर एक छोटा बाजार लगा है. लेकिन देखने के लिए वहां कुछ ख़ास नहीं है. उससे अच्छे नज़ारे तो रस्ते में ही आप देख चुके होंगे. हालांकि दिसम्बर माह में स्नोफाल होने का नजारा यहाँ कुछ और होता है. लेकिन 15 नवंबर के आसपास का ये नजारा आपको बता रहे है.
वहीँ जाखू धाम कि बात करें तो शिमला में प्रवेश करते ही आपको पहाड़ की चोटी पर हनुमानजी कि विशाल प्रतिमा नजर आएगी. जहाँ आप खुद की गाड़ी लेकर कभी ना जाएँ. क्योंकि वहां जाने के लिए सिंगल रोड है और चड़ाई काफी खड़ी है. वहां के ड्राईवर भी पहले गेयर में ही वहां जाने के लिए गाड़ी चलाते है. जाखू धाम की मान्यता है की राम –रावण युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण मूर्क्षित हो गए थे तब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने हिमालय की पर्वत पर गए थे.
जहाँ काफी तलाशने के बाद हनुमानजी को संजीविनी बूटी नहीं मिली तब पर्वत पर तपस्या कर रहे यक्ष ऋषि से हनुमान जी ने संजीवनी बूटी के बारे में पूछा था. और परिचय के दौरान यक्ष ऋषि को पता चला कि उनके सामने भगवान् हनुमान जी है. उसके बाद उन्होंने वापिस जाने पर दर्शन कि प्रार्थना की थी. लेकिन हनुमान जी वापिस जाते समय कालनेमि राक्षस के कुचक्र में फंसने के कारण अयोध्या होते चले गए. जहाँ उन्हें याद आया कि उन्होंने यक्ष ऋषि को वापिस जाते समय दर्शन देने की बात कहीं थी. जिसके बाद स्वयंभू वहां हनुमानजी कि मूर्ति प्रकट हो गई थी. जहाँ यक्ष ऋषि ने हनुमानजी का मंदिर बनवाया था. जिसे हम जाखू धाम के नाम से जानते है. शिमला जाने वाले लोग बाबा के दर्शन करने जरुर जाते है.