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गंगा नदी का पानी दक्षिणी हरियाणा मे लाने के लिए नांगल चौधरी के विधायक डॉ अभय सिंह को दिया मांग पत्र ।

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गंगा नदी का पानी दक्षिणी हरियाणा मे लाने के लिए नांगल चौधरी के विधायक डॉ अभय सिंह को दिया मांग पत्र ।

भाजपा नेता सतीश खोला ने नांगल चौधरी के विधायक डॉ अभय सिंह यादव को गंगा नदी का पानी दक्षिणी हरियाणा में लाने के लिए मांग पत्र सौंपा ।  सतीश खोला ने तकनीकी रूप से एक पत्र तैयार किया है जिसमे कानूनी व इंजीनियरिंग तकनीकी रूप से कहा  है कि रिवर बोर्ड्स एक्ट 1956 की धारा 4 के तहत गंगा और यमुना जैसी अंतरराज्यीय नदियो के लिए नदी बोर्ड बनाने का प्रावधान था | केंद्र सरकार नदी के प्रवाह क्षेत्र वाले राज्यो के साथ परामर्श कर आम राय से यह बोर्ड बना सकती थी |

इस कानून के तहत बनने वाले बोर्ड इतने शक्तिशाली होते की उन्हे जलापूर्ति से लेकर नदियो के प्रदूषण के संबंध मे नियम और दिशानिर्देश बनाने का अधिकार होता है | साथ की बोर्डो को नदियो के किनारे पौधे लगाने, नदी बेसिन के विकास की योजनाए बनाने और उनके क्रियान्वयन की निगरानी की शक्ति भी हासिल होती | अभी तक किसी सरकार ने इस कानून को लागू कर नदियो के बोर्ड गठित का जहमत नही उठाई |   

 रिवर बोर्ड्स एक्ट 1956 की धारा 4 के तहत ये काम करता रिवर बोर्ड :

1.   अंतरराज्यीय नदी जल का उपयुक्त उपयोग,नियंत्रण और संरक्षण |

2.   सिचाई, जलापूर्ति या ड्रेनेज की योजनाओ का परिचालन व प्रोत्साहन |

3.   बाढ़ नियंत्रण योजनाओ का परिचालन व प्रोत्साहन |

4.   नौहवन पर परिचालन व प्रोत्साहन |

5.   मृदा क्षरण नियंत्रण और पौधरोपण प्रोत्साहन |

6.   अंतरराज्यीय नदियो मे जल प्रदूषण पर नियंत्रण |

7.   राज्य सरकारो को परामर्श देना |

8.   नदी घाटी व बेसिन के विकास का योजनाए बनाना |

9.   नदी बेसिन की योजनानों के क्रियान्वयन की लागत राज्यो को बताना |

10. योजनाओ पर प्रगति की निगरानी करना |

केंद्र ने 1995 मे एक प्रस्ताव के जरिये अपर यमुना बोर्ड बनाया (जिसके तहत राजस्थान को यमुना पानी देने का प्रावधान है) | इसका काम नदी के जल मे राज्यो की हिस्सेदारी तो थी लेकिन हरियाणा को पानी प्राप्ति को लेकर अभी तक न्याय नही मिला | द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट मे दक्षिण अफ्रीका, फ़्रांस, चीन का उदाहरण भी दिया, जहाँ पानी के बेहतर प्रबधन के लिए राष्ट्रीय कानून या नदी बेसिन के लिए तंत्र बनाए गए है | रिवर बोर्ड्स एक्ट 1956 की धारा 4 के तहत गंगा नदी का पानी दक्षिणी हरियाणा में लाया जा सकता है जिसके लिए:-

1. भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता नही क्योंकि पहले से ही राष्ट्रीय राजमार्ग की भूमि उपलब्ध है | 

2. भूमि सम्बन्धी कोई विवाद नही | 

3. किसानो की ज़मीन की आवश्यकता नही |

4. भूमि को लेकर राज्यों में कोई विवाद नही क्योंकि राष्ट्रीय राजमार्ग की भूमि भारत सरकार की सम्पत्ति है | 

 5. बहुत कम लागत व अल्प समय में (लगभग 500 करोड़ से कम) दक्षिणी हरियाणा को सदा भरपूर पानी मिल सकता है |

    समुद्र तल से ऊँचाई 

1. अनूप शहर (उत्तर प्रदेश)    182 मीटर 

2. दादरी (उत्तर प्रदेश)   216 मीटर 

 3. पलवल (हरियाणा)    199 मीटर

 4. सोहना   212 मीटर 

5. पचगांव   217मीटर

 6. गुरुग्राम    217 मीटर

 7. पटौदी     140 मीटर 

8. झज्जर    220 मीटर 

9. चरखी दादरी  225 मीटर

10. नूह       199 मीटर

11. फिरोजपुर झिरका  205 मीटर

12. रेवाड़ी      241.95 मीटर

13. धारूहेड़ा    244 मीटर

14. महेन्दरगढ़  262 मीटर

15. नारनौल      318 मीटर

गंगा नदी का पानी लाने के लिए 207 किलोमीटर की नहर बनानी है जिसमे

1. अनूप शहर (उत्तर प्रदेश) गंगा नदी (NH 34) से दादरी = 75 किलोमीटर

2. दादरी (उत्तर प्रदेश) से पलवल(हरियाणा) (KGP) = 70 किलोमीटर

3. पलवल से पचगांव KMP = 62 किलोमीटर की दूरी पर है, जो कि बहुत कम कीमत पर दक्षिणी हरियाणा में भरपूर मात्रा में पानी लाया जा सकता है।