हरियाणा में नियम 134ए के तहत गरीब बच्चों को स्कूल में एडमिशन दिलाने की प्रकिया एक मजाक बनकर रह गई है. वो इसलिए की गरीब बच्चे एडमिशन के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे है. और प्राइवेट स्कूल संचालक इसलिए विरोध प्रदर्शन कर रहे है कि उन्हें गरीब बच्चों के पढ़ाने के बदले सरकार से मिलने वाली फ़ीस का भुगतान नहीं किया जा रहा है. और शासन – प्रशासन 20 दिन बाद भी केवल आश्वासन दे रहा है. ऐसे में सवाल की आखिर गरीब बच्चों का क्या कसूर !
रेवाड़ी के जिला सचिवालय में विरोध प्रदर्शन कर जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपने पहुँचे प्राइवेट स्कूल संचालकों का नियम के 134ए के तहत एडमिशन के लिए तरस रहे गरीब बच्चों और उनके अभिभावकों से सामना हो गया. बच्चों और अभिभावकों ने जैसे ही प्राइवेट स्कूल संचालकों को देखा तो नारेबाजी शुरू कर दी. अभिभावक बोले आखिर उनका और बच्चों का क्या कसूर है. जो उन्हें कड़ाके की ठंड में यहाँ बच्चों को साथ लेकर धरना प्रदर्शन कर पड़ रहा है. अगर सरकार प्राइवेट स्कूल में गरीब बच्चों का एडमिशन नहीं करा सकती तो नियम 134ए के तहत फॉर्म ही क्यों निकाले. और उन्होंने स्कूल से टीसी कटा ली. लेकिन आगे स्कूल बच्चों का एडमिशन ही नहीं कर रहे है.
आपको बता दें कि नियम 134ए के तहत गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढने का अधिकार है. जिसके तहत 5 दिसंबर को परीक्षा कराकर मेधावी बच्चों को निजी स्कूल ऑलोट किये थे. पहले 24 दिसंबर एडमिशन की लास्ट डेट रखी गई, फिर 31 दिसंबर और फिर 7 जनवरी एडमिशन के लिए अंतिम तिथि रखी गई. लेकिन आज भी गरीब बच्चों का एडमिशन स्कूलों में नहीं हो पाया है.
एडमिशन ना होने से नाराज बच्चे अभिभावक करीबन 20 दिनों से जिला सचिवालय पहुंचकर विरोध प्रदर्शन कर रहे है. और इस बीच तीन –चार बाद प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन भी जिला प्रशासन के नाम सरकार को ज्ञापन भेज चुकी है. प्राइवेट स्कूलों का तर्क है कि गरीब बताने वाले अधिकाँश अभिभावक गरीब ही नहीं है. जिनकी जाँच कराएं और दूसरी मांग ये है कि पहले सरकार 5 वर्षो से बकाया राशी का भुगतान करें. जिसके बाद ही वो नियम 134ए के तहत आने वाले बच्चों का एडमिशन करेंगे.
आपको बता दे की करीबन 20 दिनों से चल रही इस टकरार के दौरान जिला प्रशासन ने एडमिशन कराने के लिए शिक्षा विभाग के टीचर्स की ड्यूटी भी लगाईं, अभिभावकों द्वारा पेश किये जाने वाले आय प्रमाण पत्र की जाँच करने के लिए भी कमेटी भी बनाई. और शिक्षा विभाग ने पहले कहा कि फ़ीस का कोई बकाया नहीं है. बाद में जिला उपायुक्त ने कहा की प्राइवेट स्कूलों की मांग को सरकार के पास भेजा गया है. आज भी ज्ञापने लेने पहुँचे डीडीपीओ ने फिर आश्वाशन देकर टाल दिया.