धारूहेड़ा स्थित एसबीआई की ब्रांच से वर्ष 2009 से 2012 के बीच 213 लोन पास हुए थे। बैंक की ओर से चार करोड़ 92 लाख रुपये के विभिन्न लोगों को लोन दिए गए थे। लोन की किश्त जमा नहीं होने पर बैंक द्वारा जांच शुरू की गई थी। बैंक द्वारा लोन के लिए दिए गए जमीन के कागजातों की जांच शुरू की तो धोखाधड़ी की परतें उजागर होती चली गई थी।
बैंक की ओर से अदालत में आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई के लिए याचिका दायर की गई थी। अदालत के आदेश के बाद धारूहेड़ा थाना पुलिस द्वारा फर्जी कागजात पर लोन लेने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इस मामले में पुलिस ने कई आरोपियों को गिरफ्तार किया था।
एसबीआइ की धारूहेड़ा शाखा द्वारा जिन लोगों को लोन दिए गए थे, वह अधिकतर राजस्थान के जिला अलवर की तिजारा तहसील के गांवों के थे। सोची समझी साजिश के तहत दूसरे राज्य (हरियाणा) की सीमा की बैंक शाखा में आवेदन किए गए थे। जांच में सामने आया था कि जमीनों के फर्जी कागजात तैयार करने और इन कागजात के जरिए लोन दिलाने में जफरुद्दीन की मुख्य भूमिका थी।
पुलिस ने अप्रैल माह में आरोपी जफरुद्दीन को गिरफ्तार कर पूछताछ के लिए अदालत से रिमांड पर लिया था। रिमांड के दौरान गांव लाडिया निवासी मोहम्मद हबीब खान का नाम सामने आया था। जफ्फार के कहने पर आरोपी हबीब खान फर्जी कागजात तैयार करने में मदद करता था।