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राहतभरी ख़बर: हरियाणा में अब बिजली के लम्बे-लम्बे कटो से मिलेगी निजात, अडानी ग्रुप से जल्द मिलेगी बिजली

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हरियाणा में अब बिजली के संकट से जल्द ही निजात मिलने वाली है. हिसार के खेदड़ और पानीपत प्लांट की यूनिटों की मरम्मत अब पूरी हो गई है.जिससे अब इन दोनों यूनिटों में बिजली का उत्पादन शुरू हो गया है. ऐसे में प्रदेश को अब खेदड़ से 600 और पानीपत की यूनिट से 250 यूनिट प्रतिदिन के हिसाब से अतिरिक्त बिजली मिलनी शुरू हो जाएगी.संभावना जताई जा रही है कि आगामी कुछ दिनों में अडानी से 1421 मेगावाट बिजली सुचारु हो जाएगी.

करीब 1600 मेगावाट के अंतर के चलते पिछले एक सप्ताह से प्रदेशभर में बिजली कट शुरू हो गए थे. शहरों में 3-4 घंटे तो गांवों में 8-8 घंटे तक के कट लगाए जा रहे हैं. इससे प्रदेश के लोगों में भी गुस्सा बढ़ता जा रहा है. आनन-फानन बिजली विभाग ने खेदड़ और पानीपत की खराब चल रही यूनिट को ठीक करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी। इंजीनियरों की दिन रात की मेहनत के बाद मंगलवार को दोनों यूनिटों में उत्पादन शुरू हो गया है।

 

हरियाणा सरकार का कहना है कि इस बार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बढ़ते शहरीकरण और दिल्ली से उद्योगों के बाहर शिफ्ट होने के कारण प्रदेश में बिजली की मांग 1000 से 1500 मेगावाट प्रतिदिन तक बढ़ी है. दूसरा, समय से पहले अधिक गर्मी भी इसका कारण है. अचानक से बिजली की 7623 मेगावाट तक की मांग आ रही है, जबकि उत्पादन 6 हजार मेगावाट के आसपास है. 

जल्द मिलेगी अडानी ग्रुप से सप्लाई

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोयले के बढ़े दामों के चलते बंद की गई अडानी ग्रुप से बिजली सप्लाई दोबारा से सुचारु कराने को लेकर मंगलवार को उच्चस्तरीय बैठक हुई है. बैठक में खुद बिजली मंत्री रणजीत चौटाला, एसीएस पीके समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे. कंपनी इस बात पर अड़ी है कि वह पुराने रेट पर ही बिजली देगी लेकिन कोयले के बढ़े रेट लेकर इसमें एडजस्ट किए जाए. प्रदेश सरकार इससे इनकार कर रही है लेकिन अभी प्रदेश सरकार केंद्र सरकार के पुल से 12 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीद रही है. ऐसे में विवाद को खत्म करने के लिए बीच का रास्ता निकलाने पर सहमति बनी है.  

 

पुराने रोटोर से ही चल रहा काम

खेदड़ और यमुनानगर बिजली प्लांट की यूनिटों के रोटोर एक साल से अधिक समय से खराब पड़े हैं. हरियाणा सरकार ने इसके लिए चीन की कंपनी को काफी समय पहल ऑर्डर भी दे दिया है लेकिन कोरोना, चीन और भारत के रिश्तों के बीच चल रही खटास के कारण ये रोटोर आज तक नहीं आ पाए हैं. फिलहाल पुराने रोटोर से ही काम चलाया जा रहा है.