उपायुक्त यशेन्द्र सिंह ने जोनावास व रसगण गांव के खेतों में पहुंचकर फसल की राजस्व विभाग द्वारा की गई गिरदावरी की पड़ताल की। इस दौरान उनके साथ जिला राजस्व अधिकारी राजेश ख्यालिया, नायब तहसीलदार भूप सिंह व रवि सहित गांव के सरपंच व नम्बरदार भी मौके पर मौजूद रहे।
डीसी यशेन्द्र सिंह ने विभागीय अधिकारियों द्वारा तैयार किए गए गिरदावरी रिकार्ड का खेतों में पहुंचकर फसल के साथ मिलान किया। उपायुक्त ने गिरदावर व पटवारी द्वारा की गई गिरदावरी की पड़ताल की भी जांच की। उन्होंने किसानों द्वारा मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपलोड किया गए विवरण की फिजिकल वैरिफिकेशन कर सजरा से मिलान किया तथा टैब पर अपलोड किया गया विवरण जांचा। डीसी ने राजस्व विभाग के अधिकारियों से कहा कि गिरदावरी बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य है, इसलिए यह कार्य बिल्कुल सही होना चाहिए।
डीसी ने कहा कि राजस्व विभाग द्वारा फसलों के समय फसल की गिरदावरी की जाती है। इसके लिए ई-गिरदावरी प्रणाली अपनाई जाती है। पटवारी सजरे से किला नंबर देखकर आसानी से टैब में फसली ब्यौरा एकत्रित करते है। जिसकी जांच पड़ताल तहसीलदार व पटवारी सहित उच्च अधिकारी द्वारा की जाती है। डीसी ने कहा कि एकत्रित आकड़ो के आधार पर फसल की खरीद भंडारण सहित अन्य किसान हितेषी नीति बनाने में मदद मिलती है।
डीसी यशेन्द्र सिंह ने कहा कि खसरा-गिरदावरी (फसल निरीक्षण) एक महत्वपूर्ण गतिविधि है जो सालाना कम से कम दो बार राजस्व विभाग द्वारा की जानी है और जब तत्कालता उत्पन्न होती है तब विशेष गिरदावरी भी आयोजित की जाती है। उन्होंने बताया कि खसरा गिरदावरी के दौरान एक रजिस्टर तैयार किया जाता है। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग द्वारा एकत्रित डेटा की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए खसरा-गिरदावरी की जांच की जाती है ।