चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविधालय के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र बावल द्वारा गांव दुल्हेड़ा कलां मे कपास की फसल पर खेत दिवस का आयोजन किया गया।
विश्वविध्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर बीआर काम्बोज ने हरियाणा के सभी किसानों तक कृषि तकनीक पहुंचाने के प्रयासरत वैज्ञानिकों के प्रयास में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया ताकि किसान कपास की कम खर्चे में ज़्यादा से ज़्यादा पैदावार ले सकें। इस खेत दिवस मे झाबुआ, बिदावास नंगलीपरसापुर व दुल्हेड़ा कलां के किसानों ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ संयोजक डॉ जे एस यादव ने की उन्होंने किसानों को विश्वविद्यालय द्वारा दिये गए तकनीक के प्रदर्शन के प्रभावों को खेत में तुलना करके बताया। उन्होंने बताया की किसान अगर विज्ञानिकों द्वारा बताये ज्ञान का उपयोग करें तो फसलों की अच्छी पैदावार ले सकते हैं। किसान समय पर बिजाई, खाद की संतुलित मात्रा, समय पर निराइ गुड़ाई व सिचाई करें जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी।
इस कार्यक्रम में कीट वैज्ञानिक डॉ बलबीर सिंह ने कपास मे लगने वाले कीड़ो जैसे हरा तेला, थ्रिप्स, सफेद मक्खी व पिंक बोरेर (गुलाबी सूंडी) के पहचान व नुक्सान के बारे मे बताया तथा किसानो को बताया कि अगर फसल की समय समय पर देखभाल की जाए तो कीट आर्थिक कगार पर जाने से पहले ही नियंत्रण किये जा सकते हैं तथा फसलों मे अंधाधुंध कीट नाशकों के प्रयोग से बच सकते है।
उन्होंने रबी फसलों मे बीज उपचार के बारे मे बताया. डॉ नरेंद्र कुमार ने कपास की फसल में लगने वाली टिंडा गलन, पैरा विल्ट तथा सरसो मे लगने वाली तना गलन व मरोडिया के लक्षण, उपचार के बारे मे व मौसम को ध्यान मे रखते हुए बीमारी के प्रबंध के बारे मे विस्तार से बताया