केंद्र सरकार जल्द नए चुनाव सुधार करने जा रही है। चुनाव आयोग की सिफारिशों के आधार पर इसके लिए चुनाव कानून चार प्रमुख संशोधन किए जाएंगे। इनमें पैन-आधार लिंकिंग की तरह आधार कार्ड को वोटर आईडी यानी मतदाता परिचय पत्र से जोड़ने का प्रावधान सबसे अहम होगा। मंत्रिमंडल की ओर से मंजूर किए गए विधेयक में सर्विस वोटर्स के लिए चुनावी कानून को ‘जेंडर न्यूट्रल’ भी बनाया जाएगा. विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि अब एक साल में चार अलग-अलग तारीखों पर मतदाता के रूप में युवा नामांकन कर सकेंगे. विधि एवं न्याय मंत्रालय ने हाल ही में संसद की एक समिति को बताया था कि उसका जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 14 बी में संशोधन का प्रस्ताव है, ताकि पंजीकरण के लिए हर वर्ष चार कट ऑफ तिथि एक जनवरी, एक अप्रैल, एक जुलाई तथा एक अक्टूबर शामिल किया जा सके.
इसके अलावा मतदाता सूची में सुधार, मतदान प्रक्रिया को और अधिक समावेशी बनाने, चुनाव आयोग को और ज्यादा अधिकार देने के कदम उठाए जाएंगे। आधार को वोटर आईडी से जोड़ने से डुप्लीकेट मतदाता परिचय पत्र से होने वाली धांधली रोकी जा सकेगी। आधार कार्ड को वोटर आईडी से जोड़ना का फैसला स्वैच्छिक होगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निजता के अधिकार के फैसले को ध्यान में रखा जाएगा।
इस विधेयक में चुनाव संबंधी कानून को सैन्य मतदाताओं के मामले में लैंगिक तौर पर निरपेक्ष बनाने का प्रावधान है. मौजूदा चूनावी कानून इसमें भेदभाव करता है. मसलन पुरुष फौजी की पत्नी को सैन्य मतदाता के रूप में अपना पंजीकरण कराने की सुविधा मौजूदा कानून में है, लेकिन महिला फौजी के पति को ऐसी कोई सुविधा नहीं है. निर्वाचन आयोग ने कानून मंत्रालय से सिफारिश की थी कि चुनाव कानून में पत्नी शब्द की जगह जीवन साथी यानी वाइफ की जगह स्पाउस लिख दिया जाए, तो समस्या हल हो सकती है.